यह मामला किसी दूरस्थ अंचल का नहीं है, बल्कि यह मामला जिला मुख्यालय कांकेर से महज 30 किमी की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे नगर पंचायत चारामा के नाकापारा में शिक्षा विभाग द्वारा संचालित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला का है। जहां पर स्कूल भवन अत्यंत जर्जर होने के बावजूद भी यहां पर कक्षाएं लग रही हैं। इस स्कूल भवन को निश्प्रयोज्य भी घोषित कर दिया गया है। इसके चलते यहां पर अध्यनरत बच्चों के पालकों में आक्रोश देखा जा रहा है। इस बारे में पत्रिका ने पड़ताल किया तो पता चला कि यह स्कूल भवन काफी जर्जर हो चुका है, जहां पर बच्चों के पढ़ाई के समय ही अंदर वाले छत व दीवार से समय-समय पर वहां के प्लास्टर आदि भर भराकर गिर रहें हैं। इसके बाद भी यहां पर कक्षाएं लग लग रही हंै।
कक्षा 6 वीं, 7 वीं व आठवीं में कुल 35 छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैं। हमेशा नौनिहालों की जान पर खतरा मंडरा रहा है। यहां पर पदस्थ शिक्षक-शिक्षिकाएं भी इन खतरों से भयभीत नजर आ रहे हैं। इस मामले पर यहां के प्रधान अध्यापक व शिक्षा समिति के पदाधिकारियों द्वारा खंड शिक्षा अधिकारी को मौखिक व लिखित जानकारी भी दे दी गई है, पर आज पर्यंत तक इस मामले पर किसी तरह से कोई पहल नहीं की गई है। जानकारी यह भी मिल रही है कि जनपद पंचायत चारामा के सब इंजीनियर द्वारा इस स्कूल भवन को छ: महीने पहले ही जर्जर बता दिया गया है। यह भवन उपयोग के लायक नही है।
इस स्कूल भवन को निष्प्रयोज्य घोषित किए जाने की बात भी सामने आ रही है। जिसकी जानकारी शिक्षा विभाग को दे दी गई है, फिर भी जिम्मेदार अधिकारियों के अडियल रवैये के चलते इस स्कूल भवन में कक्षाएं लग रही है। स्कूल पहुंचे पालक वीरेंद्र यादव, अनिरुध्द नागेश्वर,राम मनोहर दर्रो, देवराम सिन्हा, कृपाराम सेवता, फड़ेन्द्र महावीर से बातचीत करने पर बताया गया कि उनके द्वारा कई बार स्कूल पहुंचकर इस बारे में कहा गया कि भवन काफी जर्जर हो चुका है, यहां पर कक्षाएं नहीं लगाई जानी चाहिए। उनके द्वारा भी कई बार देखा गया है कि छत की प्लास्टर कभी भी गिरते रहता है, जिससे उन्हें अपने बच्चों की चिन्ता सताने लगी है। इस जर्जर स्कूल के दीवारों और छतों का कोई भरोसा नहीं है।
फिर भी बच्चे दरकी दीवारों और छतों वाले बदहाल स्कूलों में जान जोखिम में डालकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। इस मामले में महत्वपूर्ण बात यह कि नगर चारामा जो जिले व भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिज्ञों का अखाड़ा माना जाता है। आए दिन किसी न किसी मामले पर पक्ष-विपक्ष द्वारा प्रदर्शन, पूतला दहन,चक्काजाम आदि के लिए मशहूर हैं। पर स्कूल भवन को निष्प्रयोज्य घोषित किए जाने के बाद भी कक्षाएं लग रही है। इस मामले पर किसी पक्ष व विपक्ष के नेता या जनप्रतिनिधियों ने सुध लेना जरुरी नहीं समझा है।