जिला स्वास्थ्य विभाग को चीन से आए 69 लोगों की सूची भेजी गई है। अब तक 59 लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। इनमें एक बच्चे को छोडक़र किसी में भी संदिग्ध लक्षण नहीं मिले हैं। बाकी 10 लोग अब भी स्क्रीनिंग से बाहर हैं। इनमें चार का घर ही नहीं मिला है। बाकी छह के घर तीन दिन से स्वास्थ्य विभाग की टीम जा रही है। परिजनों ने बताया कि ये लोग शहर आने के बाद फिर बाहर चले गए हैं। जिला महामारी वैज्ञानिक डॉ. देव सिंह ने पुष्टि की है कि 10 लोगों की स्क्रीनिंग फंसी है। इनके अनुसार, 14 दिन में वायरस संक्रमित इंसान से इंसान में फैल सकता है। हालांकि, सतर्कता के तौर पर 28 दिन का समय तय किया गया है।
चीन से आए लोगों की स्क्रीनिंग की जिम्मेदारी विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी दी गई है। समन्वय न होने से संगठन की स्क्रीनिंग रिपोर्ट की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को नहीं है। सीएमओ डॉ. अशोक शुक्ला का कहना है कि चीन से आए कुछ लोगों की स्क्रीनिंग रह गई है। जिनकी हो गई है, उनमें एक को छोड़ कर किसी में जुकाम के लक्षण नहीं मिले हैं। लापता लोगों की स्क्रीनिंग के लिए टीमें लगा दी गई हैं। मगर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जब पहले से ही संख्या बता दी गई थी तो फिर दस लोग स्क्रीङ्क्षनग से कैसे छूट गए।
जिला महामारी वैज्ञानिक डॉ. देव सिंह ने बताया कि निगरानी के साथ लोगों को स्वास्थ्य शिक्षा दी जा रही है। यदि लोग बार-बार हाथ धोएं तो कोरोना वायरस ही नहीं कई अन्य बीमारियों से बच सकते हैं। एक जनवरी से अब तक शहर में विदेश से आए लोगों में से कोई भी संदिग्ध नहीं मिला है। ऐसे में जांच के लिए किसी के नमूने भी नहीं लिए गए।
कोरोना वायरस की चपेट में आने की आशंका में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शुक्रवार को सिविल लाइंस स्थित एक मकान में जाकर पांच साल के बच्चे की जांच की। अमेरिका से परिजनों के साथ चीन होते हुए लौटे इस बच्चे को खांसी, जुकाम के लक्षण थे। स्वास्थ्य विभाग ने इसे सामान्य बताते हुए नमूना लेने और जांच के लिए केजीएमयू, लखनऊ भेजने से इनकार किया है।