नमाजियों के लिए सुरक्षा पुख्ता
बकरीद 22 अगस्त को मनाई जाएगी। बकरीद की नमाज के दौरान किसी तरह की कोई समस्या नमाजियों को न हो। इसके लिए प्रशासन ने कमर कस ली है। चूक न हो इसके लिए सुरक्षा के पुख़्ता बंदोबस्त किए गये है। कैमरे से नजर रखी जायेगी। छतों से पुलिस के जवान हथियार के साथ नजर रखेंगे। नमाज के दैरान रूट भी डाइवर्ट किया जायेगा। इसके साथ ही बिजली, पानी और सड़कों की व्यवस्था बेहतर करने के लिए डीएम ने विभाग के अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए है। व्यवस्था बेहतर है या नही, जो कमियां है उसे पहले से ही ठीक कर लिया जाये इसके लिए डीएम और एसएसपी निरीक्षण के लिए ईदगाह पहुंचे। डीएम ने ईदगाह में मुस्लिम समाज के लोगों के साथ बैठक की और बकरीद की उन्हें मुबारकबाद देने के बाद उनसे अपील की, खुले में बलि न दें। साथ ही कुर्बानी के दौरान खून को नालियों में न बहाएं। त्योहार को आपसी भाईचारे के तहत मनाएं।
सीएम ने दिए हैं यह आदेश
सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी 75 जिलों के पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के साथ विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बकरीद पर कई निर्देश दिए। सीएम ने अधिकारियों से कहा कि बकरीद पर कहीं विवाद न होने पाए। त्योहार को आपसी भाईचारे के जरिए मनाए जाने की व्यवस्था करें। पानी, बिजली की आपूर्ति ठीक तरह से हो। साथ ही संवेदनशील इलाकों में पुलिस-पीएसी के जवानों को तैनात करें। नमाज के दौरान नमाजियों की सुरक्षा-व्यवस्था पुख्ता हो, जिससे उन्हें कोई समस्या न आए। इसके अलावा सीएम ने अधिकारियों से कहा कि कहीं पर भी जानवर खुले में न काटे जाएं और ना ही कहीं मांस के टुकड़ों या खून को नालियों में बहाया जाए। इस निर्देश के पीछे सांप्रदायकि सौहार्द को बनाए रखने का मकसद बताया गया है।
मिल-जुलकर मनाएं त्योहार
डीएम विजय विश्वास पंत ने कहा, हम पूरी कोशिश करेंगे कि मुख्यमंत्री के आदेश को लागू किया जाए। हमने जिले के विभिन्न अधिकारियों के साथ मीटिंग की है। सोमवार को अधिकारियों के साथ-साथ दोनों समुदायों के वरिष्ठ लोगों के बैठक कर आपसी भाईचारे के साथ त्योहार मनाए जाने की अपील की। डीएम ने बकरीद त्योहार पर मुस्लिम समाज को बधाई देने के साथ खुले में कुर्बानी नहीं देने की अपील भी की। डीएम ने बताया कि नामाजियों के लिए पुख्ता व्यवस्था की गई है। बकरीद पर पशुओं की कुर्बानी केवल निर्धारित स्थलों पर ही दी जाए। कहा, मुस्लिम बहुल इलाकों में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। साथ ही अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि कुर्बानी वाले पशुओं के कंकाल तालाबों, नदियों, नालों या खुले इलाके में नहीं फेंके जाएं।