अध्ययन में आई ये बात सामने अध्ययनों से पता चला है कि चश्मा लगाने वालों सौ लोगों में महज 20 फीसदी लोग ही संक्रमित हुए हैं। एक एजेंसी ने इस संबंध में जून 2020 में जनपद कानपुर देहात (Kanpur Dehat Survey) का अध्ययन किया था। जिसमें सामने आया कि 304 कोरोना संक्रमितों में महज 60 संक्रमित ही ऐसे मिले जो चश्मा लगाते थे। इसी प्रकार हैलट के कोविड अस्पताल (Hailat Covid Hosiptal), कांशीराम अस्पताल और निजी कोविड अस्पतालों में आए कोरोना रोगियों मेें चश्मा लगाने वालों की संख्या 20 फीसदी के करीब रही है।
सीएमओ ने बताई ये बात सीएमओ डॉ. अनिल कुमार मिश्रा (CMO Kanpur) का कहना है कि लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जागरूक करते हुए यह भी सलाह दी गई कि बाहर निकलते समय मास्क के साथ चश्मा भी लगाएं। क्योंकि संक्रमित हाथों से आंख मलने पर संक्रमण हो जाता है। इस तरह चश्मा लगाने से संक्रमण से बचाव होता है। क्योंकि जो चश्मा लगाते हैं, वो लोग आंखें कम रगड़ते हैं। इसके साथ ही नाक भी कम छूते हैं। आंख में वायरस पहुंचा तो उसके जरिए नाक और गले में पहुंच जाता है। गले तक पहुंचने के बाद वायरस फेफड़ों में चला जाता है।
क्या कहते हैं नेत्र विशेषज्ञ वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अवध दुबे (Eye Specialist) का कहना है कि आंखों में पहुंचने के बाद कोरोना म्यूकोजा (झिल्ली) के जरिये नाक और गले तक पहुंचता है। आंख की नली से भी वायरस गले तक उतर सकता है। डॉ. दुबे ने बताया कि बहुत से आदतन मास्क लगाते हैं लेकिन नाक के नीचे कर लेते हैं। तो ऐसे लोग मास्क लगाते समय नाक को भी ढके रहें, नाक से भी वायरस गले में चला जाता है। जो लोग नजर का चश्मा नहीं लगाते, वे धूूप का चश्मा लगाकर बाहर निकलें। इससे कोरोना से बचाव होता रहेगा और आप सुरक्षित रहेंगे।