अदालतों में अपराध के साथ-साथ जमीन से जुड़े विवाद सबसे ज्यादा हैं। इनसे जुड़े दस्तावेजों में अक्सर छेड़छाड़ कर हालातों को अपने पक्ष में कराया जाता है। इस तकनीक से दस्तावेजों में छेड़छाड़ असंभव हो जाएगी। तकनीकी क्रांति की ये पहल डिजिटल एकाउंटिंग एंड एश्योरेंस बोर्ड ने की है।
बोर्ड के चेयरमैन सीए मनु अग्रवाल ने बताया कि यह तकनीक अभेद्य है। इस टेक्नोलाजी से लैस दस्तावेजों में एक अक्षर इधर से उधर नहीं किया जा सकेगा। ब्लॉक चेन टेक्नोलाजी वित्तीय क्षेत्र के लिए वरदान से कम नहीं हैं। जमीन आदि के संवेदनशील दस्तावेजों को सौ फीसदी सुरक्षित रखने के लिए ये टेक्नोलाजी अचूक है। उन्होंने बताया कि एबीसीडी में ए यानी आर्टिफिशियल टेक्नोलाजी, बी यानी ब्लाकचेन टेक्नोलाजी, सी यानी साइबर सिक्योरिटी और डी यानी डिजिटल एकाउंटेंसी। इसमें ब्लाकचेन टेक्नोलाजी सबसे अहम है।
इस तकनीक का उपयोग जमीन जायदाद जैसे बेहद संवेदनशील दस्तावेजों पर अभेद्य कवच चढ़ाने के रूप में किया जाएगा। ब्लाकचेन एक डिजिटल बहीखाता बुक है, जिसमें लेनदेन से जुड़े सभी रिकार्ड कई स्तर पर सुरक्षित रखे जा सकते हैं। सुरक्षा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि खरबों रुपए की बिटक्वाइन टेक्नोलाजी ब्लाकचेन पर ही आधारित है। हैदराबाद से लेकर दुबई व बहरीन तक इसकी मांग है। इससे संबंधित एक वर्कशाप कानपुर में भी कराने की तैयारी की जा रही है।
भारतीय सीए पहली बार सुनियोजित रूप से वित्तीय व एकाउंटिंग सेवाओं का निर्यात करेंगे। मेक इन इंडिया के तहत बाकायदा सीए सर्विस निर्यात को शीर्ष दस सर्विस सेक्टर में शामिल किया है। एकाउंटिंग व्यवस्था की ताकत का अंदाजा का इसी से लगाया जा सकता है कि यूरोपीय यूनियन 29 जून को समझौता करने जा रही है। भारत के अनोखे डिजिटल कॉम्पिटेंसी एंड मैच्युरिटी मॉडल को यूरोपियन फेडरेशन लागू करेगा।