जापान इंटरनेशन कॉरपोरेशन एजेंसी यानि जिका जापान की सरकारी एजेंसी है। जिका जापान के साथ विकासशील देशों के लिए भी फंडिंग करता है। जिका ने एलएमआरसी से लोन को लेकर वार्ता शुरू कर दी है। जिका ने इस परियोजना में १०० प्रतिशत निवेश को लेकर रजामंदी जाहिर की है, हालांकि उसकी शर्त है कि रोलिंग स्टॉक के लिए ३० प्रतिशत खरीदारी जापान से करनी पड़ेगी। जिका के सर्वे में यह रिपोर्ट सामने आयी थी कि कानपुर में मेट्रो को आगरा से ज्यादा ट्रैफिक मिलेगा। केंद्र और राज्य सरकार की हिस्सेदारी से बची पूरी रकम के लिए जिका फंडिंग को तैयार है।
ईआईबी यानि यूरोपीय इन्वेस्टमेंट बैंक का संचालन यूरोपीय संघ करता है। इसका मुख्यालय लक्जमबर्ग में है। यूरोपीय संघ की इजाजत से ही यह बैंक विदेशों में निवेश करता है। ईआईबी लखनऊ मेट्रो में भी ३६०० करोड़ का निवेश कर चुकी है। ईआईबी को भी कैबिनेट से मंजूरी का इंतजार है। हालांकि ईआईबी बिना शर्त भी सौ प्रतिशत निवेश कर सकती है।
अब केंद्र सरकार को तय करना है कि वह किस बैंक से कानपुर मेट्रो के लिए लोन लेती है। इसके अलावा पांच-छह ऐसी कंपनियां भी हैं जो २०० से ५०० करोड़ तक का निवेश करना चाहती हैं। इनकी अपनी अलग शर्तें हैं। अब किसी भी देश की कंपनी को औपचारिक तौर पर वार्ता और निवेश में कोई बाधा नहीं रही है।