कानपुर देहात के अकबरपुर कोतवाली के ठीक पीछे बना पोस्टमार्टम हाउस, जहां मुर्दो का पोस्टमार्टम किया जाता है, लेकिन मुर्दो का पोस्टमार्टम फ्री में नही होता है साहब, बल्कि लाशों का चीड़ फाड़ करने के लिए भी पैसा पड़ता है। पोस्टमार्टम कर्मी बिना पैसा लिए किसी भी लाश पर छुरी चाकू नही चलाते हैं। इतना ही नही पोस्टमार्टम हाउस में हर काम के पैसे अलग अलग लगते हैं। मानो आप पोस्टमार्टम हाउस में नही बल्कि बाज़ार में खरीदारी करने आए हो। मसलन यहां पोस्टमार्टम कराने ( चीरफाड़ ) कराने के 650 रुपये लगते हैं। पोस्टमार्टम कर्मियों को मुर्दे के परिजन या शराब की बोतल लाके दे या फिर दो सौ रुपये नगद दें। जिस चादर में मुर्दे को सील किया जाता है, उसके 200 रुपये रेट हैं। डिस्पोजल रिपोर्ट को लेने के लिए मुर्दो के परिजनों को 200 रुपये अतिरिक्त देने पड़ते हैं।
पोस्टमार्टम हाउस में महज़ 3 कर्मचारियों की तैनाती है। एक चपरासी जिसका काम लाशों को कमरे में रखवाना है और दो कर्मचारी पोस्टमार्टम करते हैं, बावजूद इसके बाहर के लोग यहां दलाली का काम करते हैं। देखिए ये शख्स अपना नाम नही बता रहा है और इसके हांथ में पोस्टमार्टम हाउस के महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ हैं। ये कर्मचारी भी नही है। जब पोस्टमार्टम कर्मियों ने मीडिया का कैमरा चलते देखा तो शराफत की चादर ओढ़ ली और मुर्दों के परिजनों को रुपया वापस करने लगे। यकीनन पोस्टमार्टम हाउस का मंज़र देख दिल पसीज गया। इसे कलयुग की पराकाष्ठा ही कहा जाएगा। सोचने वाली बात है कि एक तो किसी के सामने उसके किसी अपने की लाश पड़ी है। ऊपर से उस लाश को काटने का भी पैसा माँगा जा रहा है। इस बाबत कोई भी प्रशासनिक अधिकारी कैमरे पर कुछ भी बोलने को तैयार नही है।