स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में जगह-जगह सर्विलांस कैमरे, सेंसर और इलेक्ट्रानिक बोर्ड लगाए गए थे। अब मेट्रो रूट के लिए सडक़ के बीचोबीच बनाए जा रहे ओवरब्रिज के लिए इन्हें हटाना पड़ रहा है। जिसके चलते नगर निगम को करोड़ों का नुकसान होगा। ऐसा नहीं है कि यह काम कराने वाले अफसरों को मेट्रो रूट और उसके काम की जानकारी नहीं थी। मेट्रो रूट तीन साल पहले ही तैयार हो चुका था, फिर भी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कराए गए काम में इसकी अनदेखी की गई।
मेट्रो ओवरब्रिज के लिए पिलर लगाने वाली जगह पर खुदाई का काम तेजी से चल रहा है। आईआईटी से आईआईपीआर तक खुदाई हो चुकी है। जिसके चलते यहां पर लगे ३६० डिग्री तक घूमने वाले पीटीजेड कैमरे, स्पीड सेंसर, इलेक्ट्रानिक डिस्प्ले साइन बोर्ड और प्रदूषण मापक यंत्र महज शोपीस बनकर रह गए हैं। इनकी कनेक्टिविटी के लिए बिछाई गई भूमिगत ऑप्टिकल फाइबर केबिल उखड़ चुकी है। अब ये कैमरे और सेंसर भी हटा दिए जाएंगे।
नुकसान होने के बाद अब स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने उत्तरप्रदेश मेट्रो रेल कॉपोरेशन से हुए नुकसान की भरपाई के लिए एक करोड़ रुपए की मांग की है। स्मार्ट सिटी की नोडल अधिकारी ने बताया कि फिलहाल हुए नुकसान के एवज में एक करोड़ मांगा गया है। अब अगर आगे मोतीझील तक मेट्रो के काम में नुकसान होगा तो उसका भी आंकलन किया जाएगा।