कानपुर की यह आर्डिनेंस फैक्ट्री विदेशों में भी नाम कमा चुकी है। इसी फैक्ट्री ने स्वीडन की बोफोर्स कंपनी के लिए तोप बनाकर पूरी दुनिया में अपनी क्षमता का लोहा मनवाया है। यहां पर तैयार हुई धनुष और शारंग तोप दुनिया की किसी भी तोप का जवाब देने में सक्षम है।
बेहद हल्की सेल्फ प्रोपेल्ड गन सेना के लिए काफी उपयोगी साबित होगी। खासतौर पर कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में छिपे दुश्मनों को मार गिराने में अब काफी मदद मिलेगी। पहाड़ों पर इस तोप को ले जाने में आसानी होगी और इससे २७ किलोमीटर तक टारगेट को खत्म किया जा सकता है। तोप की बैरल ६ मीटर है और १५५ गुणा ३९ कैलीबर वाली ऐसी गन पहली बार भारतीय सेना को मिलेगी।
यह तोप दुश्मनों को आसानी से चकमा दे सकेगी। बेहद हल्के टैंक पर यह बैरल लगी होने के कारण आसानी से अलग-अलग दिशाओं में इससे हमला किया जा सकता है। दुश्मन इसकी लोकेशन आसानी से नहीं समझ सकता और इसे निशाना भी नहीं बना पाएगा। इस तोप का अलग-अलग तापमान में भी परीक्षण किया जाएगा।
इस तोप की बैरल ओएफसी कानपुर में विकसित की गई है, जबकि रिक्वाइल मैकेनिज्म यानि तोप के फायर होने की तकनीक का विकास जबलपुर स्थित निर्माणी में किया गया है। इसके अलावा महाराष्ट्र के मेंडक में इसके हल्के टैंक को तैयार किया गया है। यह तोप विकसित करने के लिए ओडीसी और निर्माणियों को दो साल पहले प्रोजेक्ट मिला था।