सूत्र से खुलासा :- आईआईटी कानपुर के गणितज्ञ प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल ने यह खुलासा किया है। प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल ने कोविड-19 के विश्लेषण के लिए गणितीय सूत्र फार्मूला से इस राज का पता किया है कि आखिरकार यूपी में बिना लक्षण वाले कोविड-19 के मामले इतने अधिक क्यों हैं? प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल का कहना है कि, इसे स्पष्ट करने के लिए उचित अध्ययन की आवश्यकता होगी। यूपी में प्रशंसनीय कारण यह है कि, मामलों के समूह का एक बड़ा अंश पूरी तरह से बिना लक्षणों वाले लोगो का था और इसलिए पता लगाने से बच गया।
100 में से एक मामले का पता चलना :- प्रोफेसर अग्रवाल का कहना है कि, संपूर्ण कलस्टर का बिना लक्षण वाला होना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि कलस्टर में एक भी केस का पता चला तो वह व्यापक परीक्षण को ट्रिगर करेगा। यह एक विसंगति दिखाई देती है। संक्रमणों का पीछा करना आमतौर पर मामलों के बड़े अंश का पता लगाता है जिसे एप्सिलॉन बड़ा हो जाता है हालांकि यूपी में एप्सिलॉन 1/100 के आसपास है। इसका मतलब है कि 100 में से एक मामले का पता चलना।
बेहतर इम्युनिटी बनी ताकत :- बिना लक्षण वाले स्पर्शोन्मुखी कोविड-19 संक्रमित दूसरों के लिए खतरा बन सकते हैं इस पर प्रोफेसर अग्रवाल ने कहाकि, इसकी कोई संभावना नहीं है क्योंकि ऐसे संक्रमितों मे वायरस लोड खतरनाक स्थिति तक नहीं पहुंचा है। अपनी बेहतर इम्युनिटी की ताकत से कोविड-19 वायरस से प्रभावित होने के बाद भी वे उसे परास्त कर दे रहे हैं।
संक्रमण की पहचान न होने के तीन कारण :- कोरोना वायरस की लगातार जांच के बाद भी यूपी में संक्रमण के अधिक मामले सामने नहीं आए इस पर प्रोफेसर अग्रवाल ने कहाकि, कई कारण हैं। अधिकतर लोगों के कोविड-19 प्रभावित होने के बाद ठीक होने, अधिक वैक्सीनेशन व तीन चौथाई आबादी में हुई हार्ड इम्युनिटी बनने से यह संभव हुआ है।
अलक्षणी रोग क्या है? :- आयुर्विज्ञान में अलक्षणी रोग (एसिम्पटोमटिक) उसे कहते हैं , जिससे ग्रसित रोगी में रोग से सम्बंधित कोई लक्षण सामने न आते हों। उदाहरण के लिए कोरोनावायरस से संक्रमित कुछ व्यक्ति ऐसे पाए गए हैं जिनमें लक्षण बिल्कुल देखने को नहीं मिले। विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े पैमाने पर गहन परीक्षण के बिना अलक्षणी में मरीजों की पहचान करना मुश्किल है।