दवाएं शरीर के अलग-अलग भाग व कोशिकाओं पर साइड इफेक्ट करती हैं। पर कौन सी दवाएं किन भागों में साइड इफेक्ट कर रही हैं, इसका पता लगाने के लिए वैज्ञानिक दूसरे देशों पर निर्भर थे। अब यह सुविधा आईआईटी में शुरू होगी। साइड इफेक्ट के बारे में सटीक जानकारी देने वाले क्रायो इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप को सर्ब (साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड) की मदद से मंगाया गया है। इसकी मदद से प्रोटीन की सिग्नलिंग कराई जा सकेगी, जिसकी एनालिसिस रिपोर्ट के आधार पर दवाओं के साइड इफेक्ट का पता लगाना आसान होगा।
यह भी पढ़े – डायबिटीज, हार्ट, बीपी और संक्रमण की दवा 40 फीसदी तक हो गईं सस्ती, जानिए नए दाम किडनी, लीवर, दिमाग और फेफड़े के लिए संस्थान के बॉयोसाइंस एंड बॉयोइंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अरुण शुक्ला ने बताया कि किडनी, लिवर, दिमाग, फेफड़े, दिल में समस्या होने पर प्रोटीन की सिग्नलिंग कम-ज्यादा होती है। माइक्रोस्कोप की रिपोर्ट के आधार पर एक प्रोटीन से दूसरे प्रोटीन का संदेश देने या रासायनिक परिवर्तन कराने से सटीक दवाएं बनाई जा सकेंगी। फिलहाल मशीन को पैक ही रखा गया है।
क्या है क्रायो माइक्रोस्कोपी क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी की खोज को जैव-रसायन (बायोकेमिस्ट्री) क्षेत्र में नए युग की शुरुआत बताया गया है। इससे शोधकर्ता केवल किसी जैव कण की आवाजाही रोक सकते हैं, बल्कि उसकी पूरी प्रक्रिया को भी देख सकते हैं। इसके के अविष्कारकर्ता वैज्ञानिकों जाक डुबोशे, योआखिम फ्रैंक और रिचर्ड हेंडरसन को वर्ष 2017 का नोबेल मिला।
क्या है खास बातें कोशिकाओं में एक प्रोटीन से दूसरे प्रोटीन को संदेश देना या रासायनिक परिवर्तन कराने से दवाएं बनाई जा सकेगी। नई दवाएं खोजने में काफी सहूलियत मिलेगी। अभी ज्यादातर फार्मूले विदेशी कंपनियों के हैं इसी वजह से महंगी हैं। इससे देशभर के संस्थानों को भी रिसर्च करने का बड़ा मौका मिलेगा। इससे विदेशों पर निर्भरता घटेगी और दवाएं सस्ती बनेंगी।