16 मई 2019 को हुई थी घटना जनपद कानपुर देहात के डेरापुर कस्बा क्षेत्र के गांव अंबेडकर नगर के रहने वाले वीर जवान रोहित यादव कश्मीर के शोफिया में एक सर्च ऑपरेशन के दौरान मुठभेड़ में 16 मई को शहीद हो गए थे। बड़ी बात यह है कि इस वीर जवान ने कई आतंकियों को भी ढेर किया था। जिसकी शहादत के बाद पूरा जनपद दर्द के आलम से गुजर रहा था। इसके बाद सीआरपीएफ की यूनिट वीर शहीद रोहित यादव के पार्थिव शरीर को लेकर उनके पैतृक गांव अंबेडकर नगर लेकर पहुंचे। उस समय हर किसी के सीने में बदले की आग जल रही थी और हर कोई बदले की मांग कर रहा था। शहीद की शहादत के बाद उनके परिवार का हाल जानने जब पत्रिका टीम शहीद के पैतृक गांव पहुंची।
घर मे पसरा था सन्नाटा गांव का नजारा देखकर दंग रह गए। शहीद फौजी रोहित यादव का एक भाई अब एक दुकान चला रहा है और अंदर बैठी मां अपने बेटे रोहित यादव की तस्वीर लिए बिलख बिलख कर रो रही है और रक्षाबंधन के बीते खुशनुमा माहौल को याद कर रही है कि किस तरह हमारा बेटा अपनी बहन के साथ रक्षाबंधन मनाता था। आज मेरे बेटे के शहीद हो जाने के बाद मेरी बेटी की हालत नाजुक बनी हुई है। रोती बिलखती हुई मां आज भी यह सवाल कर रही है कि मैंने अपने बेटे को पढ़ा लिखाकर फौज में भेजा था, लेकिन कश्मीर में आतंकियों ने मेरे बेटे की जान ले ली। वहीं इस माँ का सरकार के प्रति भी रोष देखने को मिला।
आज भी पिता शहीद बेटे पर गर्व महसूस करते हैं वहीं शहीद के पिता ने बताया कि सरकार के द्वारा उठाए गए कदम धारा 370 और 35A को हटाए जाने का फैसला अगर समय रहते लिया गया होता तो हमारे बेटे के साथ और भी जवान आज अपने परिवार के साथ त्यौहार मना रहे होते। अपने बेटे को वीरता के बाद मिले कई मेडल दिखाते हुए उन्होंने बताया हमारा बेटा जांबाज था। उसने पहले भी कई आतंकियों को ढेर किया था। जिसके बाद उसे कई मेडल और वीरता पुरस्कार भी दिया गया था। अब आज हमारे बीच हमारा बेटा नहीं है तो उसकी कमी अपूर्ण है, जिसकी पूर्ति कभी भी नहीं की जा सकती है और फिर वो रो पड़े।
छोटा भाई शहीद रोहित के सपने संजोय है शहीद रोहित यादव के भाई का कहना था कि मेरे बड़े भाई ने मुझे एक दुकान कराई थी, जिसे आज मै चला रहा हूं, लेकिन मेरे भाई की कमी पूरी कैसे हो। साथ ही उन्होंने बताया कि मेरे भाई जब भी छुट्टी से वापस आते थे तो वहां की कई बातें बताया करते थे कि बॉर्डर पर खड़े होकर किस तरह मुसीबतों का सामना हमारे देश का जवान करता है। वहां की जिंदगी कितनी तनावपूर्ण है। साथ ही जब हमारे भाई छुट्टी पर आते थे तो हम एक साथ बैठकर त्यौहार मनाया करते थे। हमारे घर में खुशियों की किलकारियां गूंजा करती थी, जो अब एक सपना बन कर रह गई है।
शहीद के जीजा ने बताई शहीद रोहित की जांबाजी शहीद जवान रोहित यादव के जीजा भी एक फौजी हैं, जो कि कश्मीर में तैनात हैं। इस समय छुट्टी पर वह घर आए हुए थे। उन्होंने बताया कि कश्मीर के हालात ठीक नहीं है। वहां की जनता जवानों का सहयोग नहीं करती है। ऐसी स्थिति में सरकार भी कुछ नहीं कर पाती है। सरकार के द्वारा लिया गया फैसला धारा 370 एवं 35A से शायद वहां के हालातों में कुछ तब्दीली हो। अगर बात करें रोहित की तो रोहित बहुत अच्छे स्वभाव का व्यक्ति था। उसके सामने बैठे लोग उसकी बातों से खुशी का एहसास किया करते थे। उन्होंने बताया की रोहित ने पहले भी कई बार मुठभेड़ का सामना किया था। जिसमें रोहित ने कई आतंकियों को ढेर किया था। जिसके बाद कई मेडल और वीरता के पुरस्कार दिए गए थे। अब तो बस यह मेडल और फोटो ही बचे हैं।