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लेकिन मुख्तार अंसारी के जीवन का अपराधीकरण कॉलेज के दौरान नहीं हो गया था। जब वह साधू सिंह के गैंग में का सदस्य बन गया। देखते देखते अपराध जगत का बेताज बादशाह बन गया। 14 अक्टूबर 1997 को मुख्तार अंसारी के गिरोह को रजिस्टर्ड किया गया था। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की 29 नवंबर 2005 में हत्या कर दी गई। इसके बाद से मुख्तार अंसारी की उल्टी गिनती चालू हो गई।
मुख्तार अंसारी को क्रिकेट खेलने का शौक था। लेकिन समय के साथ अपराध की दुनिया में कदम बढ़ते चले गए। उनके नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान की शहादत को लोग याद करते हैं। जब 1947 की लड़ाई में शहीद हुए। जिसके लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। पिता सुभानअल्लाह अंसारी की छवि साफ सुथरी राजनेता की थी। पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, मुख्तार अंसारी के चाचा है।
मुख्तार अंसारी ही नहीं परिवार के सदस्यों का संबंध भी अपराध जगत से हो गया। पत्नी अफसा अंसारी, भाई सिबगतुल्लाह, भाई अफजाल अंसारी, पुत्र अब्बास, पुत्र उमर की पहचान भी अपराध जगत से हो रही है। पत्नी अफसा अंसारी के खिलाफ 11 मुकदमे दर्ज है। जिसमें गैंगस्टर का भी मामला शामिल है।
मुख्तार अंसारी का बड़ा भाई सिबगतुल्लाह पर भी तीन मुकदमे दर्ज है। भाई अफजाल अंसारी के ऊपर हत्या सहित अन्य धाराओं में सात मुकदमे दर्ज थे। पुत्र अब्बास अंसारी के खिलाफ भी आठ मुकदमे दर्ज हैं। जिसकी पत्नी निखत को चित्रकूट पुलिस ने उसे समय पकड़ा था। जब वह जेल में बंद अपने पति अब्बास अंसारी से गैरकानूनी रुप में मिलने गई थी। इसी प्रकार पुत्र उमर अंसारी के खिलाफ भी विभिन्न धाराओं के छह मुकदमे दर्ज हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि मुख्तार अंसारी ने अपने परिवार का अपराधीकरण कर दिया है।