सूत्रों की मानें तो संदिग्धों के ठिकानों का पता चल चुका है। इनके खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाए जा रहे हैं ताकि गिरफ्तारी के बाद इनके बच निकलने की कोई गुंजाइश न रहे। क्योंकि इनके आका इन्हें बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इन्हें कानूनी मदद दिलाने के साथ किसी वारदात को भी अंजाम दिया जा सकता है।
शहर के मिश्रित आबादी वाले इलाकों में एजेंसी ने संदिग्धों के ठिकानों पर नजर जमा रखी है। अमरोहा और दिल्ली से पकड़े गए आतंकियों से मिली जानकारी के मुताबिक इन संदिग्धों को चिन्हित किया गया है। पूरे ऑपरेशन को लखनऊ से मॉनीटर किया जा रहा है, किसी भी समय इन पर शिकंजा कसा जा सकता है।
आतंकियों और संदिग्धों के लिए शहर आसान पनाहगाह रहा है। इससे पहले भी यहां से संदिग्धों को पकड़ा जा चुका है। वे यहां कोई वारदात करने की बजाय यहां छिपना ज्यादा बेहतर मानते हैं। २०१७ में में जाजमऊ चकेरी से खुफिया ने करीब एक दर्जन संदिग्ध उठाए थे। जिसके बाद २०१८ में चकेरी से संदिग्ध कमरुज्जमा को पकड़ा गया था। अब फिर से शहर के कई इलाकों में इनके छिपे होने की आशंका है।
एनआईए जिन संदिग्धों की तलाश में जुटी है उन्हें पहले भी पकड़ा गया था। पता चला है कि इनमें से कई लोग फिर से आतंकियों से संपर्क बनाए हुए हैं। इनकी तलाश के लिए शहर में जाल बिछाया गया है। जल्द ही गिरफ्तारी की जाएगी।