जबकि रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनाते ही कई योजनाएं गांव में लाने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा जिनमे से ओडीएफ भी सम्मिलित थी लेकिन चर्चा में रहने के बाद भी परौंख अभी तक ओडीएफ नहीं हो सका है। यहां ग्राम प्रधान ने अपने गांव की आबादी का रिकार्ड देते हुए 700 शौचालय की मांग जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) से की थी। मामला राष्ट्रपति के गांव का होने के कारण अफसरों ने आनन फानन में सबसे पहले इस गांव को ही ओडीएफ कराने की ठानते हुए पहल शुरू की। इसके लिए कानपुर की एक बड़ी डिटर्जेंट कंपनी ने शौचालय निर्माण का जिम्मा भी लिया, लेकिन इस संस्था ने मात्र 15 शौचालय बनाने के बाद ही अपने हाँथ पीछे खींच लिए। सूत्रों के अनुसार कंपनी ने अब संबंधित कार्य की जिम्मेदारी सार्वजनिक शौचालय के क्षेत्र में काफी दिनों से काम कर रही कंपनी को दे दी है।
अब ग्राम प्रधान चंद्रकली पर ओडीएफ की जिम्मेदारी आई तो बात आंकड़ो में फंस गई। जिला पंचायत राज विभाग की माने तो बेस लाइन सर्वे में परौंख में पात्रों की संख्या 426 दर्ज है। जबकि प्रधान के पति बलवान सिंह ने गांव में शौचालय के लिए 700 परिवारों को पात्र बता शौचालय की मांग रखी है। विभाग और ग्राम प्रधान के बीच चल रही आंकड़ेबाजी में अभी तक परौंख में शौचालयों का निर्माण अधर में लटका हुआ है।