मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य व वरिष्ठ छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. एसके कटियार ने बताया कि आईएलडी यानी कि इंटरस्टीशियल लंग्स डिसीज़ शहर में तेजी के साथ फैल रहा है. पहले यह काफी रेयर बीमारी थी. टीबी चेस्ट स्पेशलिस्ट की सोसाइटी की तरफ से जब इसको लेकर पड़ताल की गई तो कानपुर में छह महीनों में ही इसके सवा सौ से ज्यादा मरीज मिले. डॉ. कटियार के मुताबिक आईएलडी के बढ़ते मामलों को लेकर कानपुर देश का तीसरा सबसे बड़ा शहर है.
डॉ. कटियार के मुताबिक आईएलडी का पता एडवांस स्टेज में चलता है. इसमें फेफड़ों में फाइब्रोसिस होती चली जाती है. इसमें लंग्स की फ्लैक्सिबिलिटी खत्म हो जाती है. यह सीओपीडी से भी खराब बीमारी है, जिसमें एंटीजिंस डेवलप हो जाते हैं. देश में इस बीमारी के ट्रीटमेंट को लेकर गाइड लाइन बनाने का काम शुरू हुआ है. आईएलडी का समय पर पता चले तो इसे कंट्रोल करने की संभावना है, लेकिन खत्म कभी नहीं होती.
इस बारे में वरिष्ठ छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. एसके कटियार कहते हैं कि लंग्स से जुड़ी यह बीमारी तेजी के साथ फैल रही है. उन्होंने बताया कि उनके यहां ही हर रोज 4 से 5 नए मरीज आ रहे हैं. परेशानी की बात यह है कि इसे लेकर ज्यादा जागरूकता नहीं होने की वजह से इसका पता भी जल्दी नही चलता.