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कानपुर

बच्चे को थैलीसीमिया से बचाना है तो शादी से पहले कराइए जांच

इलाज की तकनीक बदलने से मिली राहत, जिएं भरपूर जिंदगी,हर वर्ष देश में लगभग 12000 थैलीसीमिया रोगी नए जुड़ते हैं

कानपुरMay 08, 2019 / 03:17 pm

आलोक पाण्डेय

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बच्चे को थैलीसीमिया से बचाना है तो शादी से पहले कराइए जांच

कानपुर। अगर बच्चे को थैलीसीमिया से दूर रखना तो नए जोड़े को शादी के पहले ही इसकी क्रॉस जांच करा लेनी चाहिए। इलाज की नई तकनीक ने इसके इलाज को काफी आसान बना दिया है। जरा सी लापरवाही से देश में इस बीमारी से पीडि़त लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। खास बात यह है कि यह एक अनुवांशिक बीमारी है, इसलिए इसका समय रहते इलाज हो जाए तो अगली पीढ़ी में इसके बढऩे से रोका जा सकता है।
क्या है थैलीसीमिया
थैलेसीमिया एक पीढ़ी से पीढ़ी में जाने वाले खून संबंधी बीमारी है जो शरीर में सामान्य के मुकाबले कम ऑक्सीजन ले जाने वाले प्रोटीन (हीमोग्लोबिन) और कम संख्या में लाल रक्त कोशिकाओं से पहचानी जाती है। इससे थकान, कमजोरी, पीलापन, और धीमी गति से शरीर विकास होता है। हल्के मामलों में भले ही उपचार की ज़रूरत ना भी हो पर गंभीर मामलों में खून चढ़ाना या डोनर स्टेम कोशिकाओं के प्रत्यारोपण (डोनर स्टेम सेल ट्रांसप्लांट) की ज़रुरत पड़ती है।
हर साल १२ हजार नए मरीज
देशभर में इस बीमारी से पीडि़त मरीजों की संख्या में गुणात्मक बढ़ोतरी हो रही है। 12 हजार मरीज पूरे भारत में हर वर्ष नए जुड़ रहे हैं। उत्तर भारत में यह बीमारी तीन फीसदी से ऊपर है। कहीं-कहीं बीमारी 17 फीसदी तक पहुंच गई है। प्रो. अरुण आर्या के मुताबिक यह बीमारी आनुवांशिक है। जीन में अगर यह बीमारी मौजूद है तो उसके स्टेज का पता लगाना होगा।
शादी से पहले जांच जरूरी
इलाज कर रहे विशेषज्ञ प्रो. आर्या का कहना है कि अपने समूह में शादी करने वाले लोगों में इस बीमारी के होने की आशंका अधिक रहती है। इसलिए अगर परिवार में या खानदान में किसी को यह बीमारी है तो जांच करवा लें। इलाज की नई तकनीक से राहत मिली है। हैलट में थैलीसीमिया डे केयर यूनिट में 60 बच्चे पंजीकृत हैं। नियमित उन्हें ब्लड ट्रांसफ्यूजन, आयरन चिलेशन और सबसे अहम सुरक्षित ब्लड उपलब्ध कराया जा रहा है।
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