प्राप्त जानकारी के अनुसार एसबीआई ने देश में पहली बार डिजिटल शाखाओं का आगाज़ किया. देशभर में इसकी 160 शाखाओं को खोला गया था. इनको खोलने का मकसद आज की युवा पीढ़ी को आकर्षित करना था, जो अक्सर लाइन में लगने और बोरिंग माहौल से दूर भागती है. युवा पीढ़ी और अभिजात्य वर्ग के लिए एसबीआई ने पांख् इनटच शाखाएं शहर में खोली. इन शाखाओं को शहर के सबसे महंगे और प्रीमियम इलाकों जैसे सिविल लाइसं, माल रोड, किदवई नगर, तिलक नगर और आर्यनगर में खोला गया. महज दो लोगों के स्टाफ वाले इस बैंक की सबसे बड़ी खासियत है कि आपको पहले की तरह काउंटरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते. खाता खोलने, पासबुक अपडेट कराने, पैसा निकालने या जमा करने से लेकर लोन के लिए आवेदन करने तक के सभी काम यहां की मशीनें महज कुछ मिनटों में ही पूरा करती हैं.
दो साल बाद भी शाखाएं लाभ में नहीं आ सकीं या उम्मींद के मुताबिक परिणाम नहीं दे सकीं. इनका परिचालन खर्च बेहद ज्यादा होने और ग्राहकों की आमद न बढ़ने से प्रतिग्राहक मेंटीनेंस कॉस्ट बहुत ज्यादा बढ़ गया. एक-एक शाखा का कहीने का औसत किराया ही डेढ़ से दो लाख रुपए है. इसके अलावा स्टाफ, बिजली, इंटरनेट सहित अन्य खर्च मिलाकर ये चार लाख रुपए महीनस प्रति शाखा पहुंच गया. एक इनटच ब्रांच को तैयार करने में लगभग एक करोड़ रुपए खर्च किए गए, लेकिन सारी कवायद फेल हो गई. अब दो इनटच शाखाओं को बंद कर दिया गया है. शेष भी इसी रास्ते पर हैं. नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ बैंक इम्प्लॉइज के सचिव राजेंद्र अवस्थी का इस बारे में कहना है कि बैंक की योजना अच्छी थी लेकिन प्लानिंग के अभाव में इनटच फेल हो गया.