पवन के सरेंडर के बाद भाजपा की मुश्किलें बढ़ीं
सिंकदरा विधानसभा सीट पर अधिकतर समय समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा। इटावा और कानपुर को मिलाकर बनी यह विधानसभा सपा संरक्षक मुलायम सिंह की सीट मानी जाती रही है। लेकिन 2017 के विधानसभा के चुनाव के वक्त पार्टी में रार के चलते सपा को यह सीट गवांनी पड़ी। कुर्मी बहूल्य सीट पर उपचुनाव के लिए पार्टी ने पहने पवन कटियार को टिकट दिया था, लेकिन नामांकन से महज दस घंटे पहले पूर्व सांसद राकेश सचान की पत्नी को साइकिल थामा दी गई। इसके चलते जबरदस्त विरोध हुआ था और पवन कटियार निर्दलीय के रूप में मैदान पर उतर आए थे। लेकिन अखिलेश यादव ने बागी पवन कटियार को मनाने के लिए सांसद सुखराम सिंह यादव को लगाया। सुखराम सिंह ने पवन को मना लिया और उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। इसी के बाद से सिकंदरा की चुनावी जंग सपा और भाजपा के बीच रह गई।
ठाकुर और ब्राम्हण मतदाताओं का रोकेंगे बिखराव
सीएम के आदेश पर बिठूर से भाजपा विधायक अभिजीत सिंह सांगा और किदवईनगर से विधायक महेश त्रिवेदी को सिकंदरा पहुंच चुके हैं और कमल खिलाने के लिए जुट गए हैं। जानकारों की मानें तो बसपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा, जबकि कांग्रेस ने प्रभाकर पांडेय को टिकट देकर भाजपा के वोटबैंक में सेंधमारी की सपा के लिए राह आसान कर दी। इसी से निपटने के लिए भाजपा हाईकमान ने क्षत्रिय व ब्राम्हण चेहरों को सिकंदरा में चुनाव प्रचार में लगा दिया है। भाजपा विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने बताया कि सिकंदरा में हम अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ प्रचार कर रहे हैं और पार्टी यहां से बड़े अंतर के साथ दोबारा सीट पर कब्जा करेगी। वहीं सीमा सचान के पति पूर्व सांसद राकेश सचान ने कहा कि सिकंदरा में भाजपा का विजय रथ सपा रोकेगी और यहां साइकिल दौड़ेगी।
निकाय में भाजपा को उठानी पड़ी हार
2014 के लोकसभा और 2017 के शुरुआत में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सपा को पटकनी दी थी। लेकिन निकाय चुनाव में सपा ने भाजपा को एक भी सीट नहीं जीतने दी। ऐसे में दोनों पार्टियों के लिए सिकंदरा की सीट प्रतिष्ठा का विषय बनी है। सिकंदरा को मिलाकर इटावा लोकसभा क्षेत्र में कुल चार विधानसभाएं हैं, जबकि छह नगर निकाय हैं। यहां पर सपा की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम, प्रतिपक्ष के नेता सहित कई अन्य नेताओं ने सभाएं की हैं। साथ ही पूर्व सांसद राकेश सचान पूर्व मंत्री शिवपाल यादव के करीबी माने जाते हैं। जिसके चलते शिवपाल भी अंदरखाने सीमा सचान की मदद कर रहे हैं और एक- दो दिन के बाद वो प्रचार भी कर सकते हैं। वहीं भाजपा की तरफ से डिप्टी सीएम के साथ प्रदेश अध्यक्ष ने यहां आकर सभाएं की हैं और अब भाजपा के विधायकों की 24 घंटे ड्यूटी लगाए जाने के बाद सिकंदरा का चुनाव काफी रोचक हो गया है।
महेश त्रिवेदी चुने गए थे विधायक
किदवईनगर से भाजपा विधायक महेश त्रिवेदी की ड्यूटी सिकंदरा विधानसभा में लगाने की वजह है कि वह सिकंदरा सीट से एक बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल कर चुके हैं। इस क्षेत्र में इनका काफी दबदबा माना जाता है। वो बसपा सरकार के दौरान मंत्री भी रहे हैं। ब्राम्हणों के साथ दलित मतदाताओं पर इनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। बसपा के प्रत्याशी नहीं उतारने से महेश त्रिवेदी दलित वोटर्स को भाजपा के पक्ष में काफी हद तक ला सकते हैं। वहीं बिठूर के विधायक अभिजीत सिंह सांगा को बिठूर नगर पंचायत में जीत हासिल करने और देहात क्षेत्र में पकड़ होने की वजह से इस चुनाव में विशेष भूमिका दी गई है। उप चुनाव के लिए मतदान 21 दिसंबर को होगा।