जेआर को भी स्वाइन फ्लू! मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल से मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की वायरोलॉजी लैब में 5 सैंपल भेजे गए हैं। जिसमें से दो सैंपल जूनियर डॉक्टर्स के हैं। चेस्ट रोग विभाग के डॉक्टर्स के मुताबिक स्वाइन फ्लू की जांच करने वाली मशीन एचवनएनवन वायरस के अलावा इंफ्लूएंजा वायरस की जांच भी करती है। चेस्ट रोग विभाग में कई ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनके लक्षण कई बार स्वाइन फ्लू जैसे भी नजर आते हें इसलिए उनकी जांच कराई जा रही है स्वास्थ्य विभाग की ओर से कानपुर में हाई- अलर्ट जारी कर दिया गया है। सीएमओ ने बताया कि हैलट और उर्सला हॉस्पिटल में स्वाइन फ्लू के लिए एक वार्ड सुरक्षित कर दिया गया है। स्वाइन फ्लू के संदिग्ध पेशेंट्स को लेकर भी बहुत एहतियात बरती जा रही है। किसी को अगर कोई आशंका भी होती है तो तुरंत सरकारी हॉस्पिटल्स में संपर्क करें।
2015 के बाद बरपा रहा कहर स्वइन फ्लू ने 2017 से पहले 2015 में जमकर शहर में कहर बरपाया था। उस साल 125 लोग इस बीमारी की चपेट में आए थे, साथ ही 16 लोगों की मौत हुई थी। 2016 में मात्र 16 मरीज स्वाइन फ्लू पॉजिटिव पाए गए थे। जबकि 2016 में ये बीमारी लोगों पर हावी नहीं हो पाई। डॉक्टर विशाल गुप्ता ने बताया कि अगर किसी को भूख न लगना, अचानक चिड़चिड़ापन, पेट में इंफेक्शन, दस्त और शरीर में पानी की कमी, ज्वाइंट्स में पेन, उल्टी आना, सिर भारी होना, लंग्स पर असर, पसलियों में दर्द, सांस लेने में परेशानी, मसल्स में खिंचाव और पेन, पैर में तेज दर्द, खांसी जुखाम, इंफेक्शन की शुरूआत, गला सूखना नाक बहना, आंखों से पानी आना जैसे लक्षण हो तो तत्काल डॉक्टर को दिखाएं और खून की जांच कराएं।
500 मरीजों के लिए दवा स्टॉक स्वास्थ्य विभाग के पास 500 मरीजों के लिए का दवाओं का स्टॉक है। इसमें 75 एमजी और 30 एमजी की टेमीफ्लू और इंजेक्शन शामिल हैं। जीएसवीएम मेडिकल कालेज से संबद्ध संक्रामक रोग अस्पताल में 225 टेमीफ्लू की गोलियां स्टॉक में हैं। स्वास्थ्य विभाग के कंट्रोलरूम में स्वैब सैंपल लेने में आनाकानी करने की शिकायतों पर सीएमओ ने नर्सिगहोम संचालकों को निर्देशित किया है कि वह अपने यहां आइसोलेशन वार्ड सही करा लें। अधिक से अधिक लोगों की जांच स्वास्थ्य विभाग के जरिए निःशुल्क कराएं। साथ ही अस्पतालों में अगल से वार्ड बनाए गए हैं। आइडीएच- 12 बेड (दो वेंटीलेटर), उर्सला- छह बेड (एक वेंटीलेटर), केपीएम- चार बेड (वेंटीलेटर नहीं), कांशीराम- पांच बेड (वेंटीलेटर नहीं) की व्यवस्था की है।