बताया कि पुलिस की छानबीन में सामने आया था कि घटना को अंजाम देने के बाद विकास दुबे ने रसूलाबाद कानपुर देहात के तुलसीनगर में रामजी उर्फ राधे कश्यप के यहां पनाह ली थी। मामले में पुलिस ने रामजी को भी घटना में शामिल होने का आरोपी बनाया है। बताया गया कि एसटीएफ ने उसके पास से 12 बोर की एक बंदूक, 25 कारतूस, 7.62 एमएम के 20 कारतूस व एके 47 के दो कारतूस बरामद किए थे। इस मामले में बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने आरोपी की जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। कोर्ट में शुक्रवार को हुई बहस में बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने दलील दी कि आरोपी को भीड़भाड़ वाले स्थान से गिरफ्तार किया गया है साथ ही पुलिस ने कोई पब्लिक का गवाह भी नहीं बनाया है।
उन्होंने आरोपी का कोई पुराना आपराधिक इतिहास न होने की भी दलील दी। इन दलीलों का विरोध करते हुए सहायक शासकीय अधिवक्ता आशीष तिवारी ने कहा कि गिरफ्तारी के बाद आरोपी ने स्वयं स्वीकार किया था कि विकास दुबे उसके घर आकर रुका था। साथ ही पुलिस के लूटे हुए असलहे व कारतूस घर में रखने की बात भी स्वीकार की थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपी का जमानती प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया। एडीजीसी ने बताया कि बिकरू कांड के आरोपी रामजी उर्फ राधे की जमानत खारिज कर दी गई है।