चिडिय़ाघर में चल रहे वाइल्ड लाइफ मेडिसिन एण्ड मैनेजमेंट के पाठ्यक्रम के दौरान डॉ. सिंह ने बताया कि अगर शेर हमला करता है तो उसकी नाक पर तेजी से वार करें, इससे वह आपको छोड़ देगा। अगर आप भागे तो वह शिकार समझ लेगा और बैठ गए तो दूसरा जानवर समझेगा। बेहतर है कि उसे देखते हुए बगैर मुड़े पीछे की ओर धीरे-धीरे बढ़ें।
डॉ. आरके सिंह ने बताया कि शेर, बाघ व तेंदुआ चार खास वजहों से हमला करते हैं। पहला जब मादा अपने बच्चों के साथ हो, दूसरा अपने प्रभाव क्षेत्र में किसी व्यक्ति के अतिक्रमण की स्थिति में, तीसरा सहवास के समय दखल और चौथा यदि वह आदमखोर है। उन्होंने बताया कि सबसे अधिक मामले प्रभाव क्षेत्र में हस्तक्षेप के ही सामने आए हैं। जब भी इन जीवों को लगता है कि उसके अधिकार वाले क्षेत्र में कोई दूसरा अतिक्रमण कर रहा है या करने वाला है तभी हमला करते हैं।
डॉ. सिंह ने बताया कि हम अक्सर बंदर को देखकर भगाने में उससे आंखें मिलाकर उसी अंदाज में देखने लगते हैं। ऐसा कभी नहीं करना चाहिए, आपने आंख में आंख मिलाकर देखा तो वह हमला कर देगा। इसी लिए देश व शहर में अधिकतर ऐसे केस सामने आते हैं कि बंदर ने हमला कर दिया।
ट्रेनिंग के दौरान बताया गया कि सांप के काटने पर जहर नहीं फैलता और न मौत होती है। कोई सांप काट ले तो मुस्कुराना शुरू कर दें और भागें बिल्कुल नहीं। इससे ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ेगा और जहर धीमे फैलेगा। डॉ. नासिर ने बताया कि दुनिया में मात्र कोबरा, रसैलवाइपर, सॉस्केल्ड वाइपर, करैथ, पिटवाइपर और किंग कोबरा में ही जहर होता है। जहरीले सांप के काटने की पहचान यही है वहां दो दांतों के निशान बन जाएंगे।