scriptPitru Paksha Special News: पितृपक्ष में पूर्वजों के श्राद्ध कर्म का है खास महत्व, जानें पूजन की विधि एवं श्राद्ध कर्म की तारीखें | Worship method in Pitru Paksha and these dates are special, know | Patrika News
कानपुर

Pitru Paksha Special News: पितृपक्ष में पूर्वजों के श्राद्ध कर्म का है खास महत्व, जानें पूजन की विधि एवं श्राद्ध कर्म की तारीखें

-पितृपक्ष पर इन तिथियों पर पितरों का पूजन कर करें तर्पण-गंगा और यमुना नदी के घाटों पर श्राद्ध कर्म का है विशेष महत्व

कानपुरSep 19, 2021 / 02:35 pm

Arvind Kumar Verma

Pitru Paksha Special News: पितृपक्ष में पूर्वजों के श्राद्ध कर्म का है खास महत्व, जानें पूजन की विधि एवं श्राद्ध कर्म की तारीखें

Pitru Paksha Special News: पितृपक्ष में पूर्वजों के श्राद्ध कर्म का है खास महत्व, जानें पूजन की विधि एवं श्राद्ध कर्म की तारीखें

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
कानपुर. एक पखवाड़े तक चलने वाले पितृपक्ष (Pitru Paksha) को लेकर लोग अपने पितरों के पूजन (Worship in Pitru Pkasha) की तैयारी में लगे हैं। ऐसे में लोग गंगा घाटों पर पूर्वजों को तारने के लिए श्राद्ध करते हैं। दरअसल 20 सितंबर को पूर्णिमा तो 21 को प्रतिपदा का श्राद्ध (Pitru Paksha Shraddh) होगा। इसके बाद 6 अक्टूबर को अमावस्या के श्राद्ध के साथ पूर्वजों की विदाई की जाएगी। इन दिनों में लोग अपने पूर्वजों का स्मरण कर उनका तर्पण करते हैं। उनकी आत्मा की शांति के लिए घरों में श्राद्ध कर्म करते हुए गंगा व यमुना किनारे तर्पण व पिंडदान (Pitru Paksha Pinddan) करते हैं।
गंगा यमुना के घाटों पर है तर्पण का खास महत्व

ऐसा माना जाता है कि इन नदियों के घाट पर तर्पण से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। पं. भोले शुक्ला के मुताबिक खास योग में पितृपक्ष की शुरुआत होगी। इसमें लोग अपने मृत पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। ऐसा करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गंगा , यमुना आदि नदियों के तट पर विधिवत पूजन कर श्राद्ध करना फलदायी माना गया है। जो लोग गंगा तट पर नहीं जा सकते हैं वे सूर्य देवता का स्मरण करते हुए लोटे में जौ, तिल, अक्षत व सफेद पुष्प लेकर घर पर ही श्राद्ध कर्म करें।
अपने गुरुजन को सम्मानपूर्वक भोजन कराएं

अपने गुरुजन व मान्य को भोजन कराने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इस पूजन में जल में काला तिल व हाथ में कुश रखकर स्वर्ग सिधार चुके पूर्वजों का स्मरण करते हुए पूजन करना चाहिए। जिस दिन निधन की तिथि हो उस दिन अन्न व वस्त्र का दान अवश्य करना चाहिए। पितरों की तिथि पर ब्राह्मण देवता को विधिवत सम्मानपूर्वक भोजन करवाएं। साथ ही कौआ को दाना चुगाएं एवं कुत्तों को भी भोजन दें।
पितृपक्ष की महत्वपूर्ण तिथियां

20 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध, 21 को प्रतिपता का श्राद्ध, 22 को द्वितीया, 23 को तृतीया, 24 को चतुर्थी, 25 को पंचमी, 27 को षष्ठी, 28 को सप्तमी, 29 को अष्टमी व 30 को नवमी का श्राद्ध पूजन होगा। एक अक्टूबर को दशमी, दो को एकादशी, तीन को द्वादशी, चार को त्रयोदशी, पांच को चतुर्दशी तथा छह अक्टूबर को अमावस्या के श्राद्ध में पितरों को विदा कर दिया जाएगा।
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