दो दशक पहले तक कल-कल की आवाज के साथ बहने वाली त्रिवेणी नदी में सरकार की विभिन्न योजनाओं में करोड़ों रुपए की लागत से तालचिड़ा की ओर से आने वाली नदी में खरेड़ा बालाजी के समीप राजाहेड़ा, तितरोन,मुहाना भूदान, जहाजपुरिया बीड़ा, बाड़ा गांव के समीप व तालचिड़ा गांव के समीप एनिकट बने हुए हैं। इसके अलावा पाल नदी पर बैरबा बस्ती के समीप, बर्माका पुरा के समीप एनिकट, पाल एनिकट,, बूरवाल आदि एनिकटों का निर्माण कराया गया था। इससे पहले करीब पांच करोड़ रुपए की लागत से सिंचाई विभाग ने बोरिंग चौराहे के समीप भी एनीकट का निर्माण करवाया था।
एनीकटों के निर्माण के पीछे सरकार का उद्देश्य था कि क्षेत्र का जलस्तर बना रहे। इससे क्षेत्र में लोगों को पेयजल की किल्लत का सामना नहीं करना पड़े। साथ ही मवेशियों को भी पानी मिल सके। लेकिन बारिश की कमी व पानी के आवक रास्तों में लोगों द्वारा अतिक्रमण कर अवरोध खड़े करने से पानी एनीकटों तक पहुंच ही नहीं पाता है। अधिक बारिश होने पर ही एनीकट में पानी आता है जो भी १०-१५ दिन में ही सूख जाता है। ऐसे में एनीकट वर्षभर सूखे ही पड़े रहते है। इससे करोड़ों रुपए की सरकार की बर्बादी हुई है।
उल्लेखनीय है कि तीन दशक पहले तक नदी में लालसर, पाल, आमकाजाहिरा आदि गांवों की पहाडिय़ों का पानी सिमटकर आता था। इस कारण सरकार ने एनजीओ के माध्यम से आधा दर्जन से भी अधिक स्थानों पर एनीकटों का निर्माण करवाया था।
एनीकटों में उगे है कीकर-बबूल
करोड़ों रुपए की लागत से तैयार हुए एनीकटों में पानी की जगह कीकर-बबूल व झाडिय़ां नजर आती है। साथ ही पानी के अभाव में सूखे पड़े एनीकटों में गंदगी के साथ रेत व मिट्टी जमा है। इससे उनकी भराव क्षमता भी कम हो गई है।
एनीकट की खुली पोल
संस्थाओं के साझा प्रयास से जलधारा प्रोजेक्ट के तहत नदी में बनाए गए बैरवा बस्ती के समीप एनीकट की पोल खुलने लगी है। यह एनीकट में साइड़ में खोखला हो गया है। जिसमें पानी भरकर दीवार क्षतिग्रस्त होने की आशंका है। इससे लगता है कि एनीकट में अनियमितता बरती गई है।
बारिश की कमी है मुख्य कारण
गुढ़ाचन्द्रजी ग्राम पंचायत सचिव कैलाश चंद का कहना है कि गत वर्षो में बारिश की लगातार कमी होती जा रही है। इस कारण एनीकट पूरी तरह से पानी से भर नहीं पाते है। इन एनीकटों को एक एनजीओ के द्वारा बनाया गया है।