पर रेट लिस्ट लगी हुई नहीं है। इससे सही रेट का पता भी नहीं चलता। प्रिंट रेट से अधिक कीमत ली जाती है। यह स्थिति चौड़ागांव, नारौली डांग, हाडौती, नीमोदा स्टेशन, डाबरा, कुडग़ांव आदि गांवों में भी है।
मिलावट कर देते हैं। शराब पीने वाले यह सब जानते हैं और आपस में शिकायत भी करते है। वे विभाग के अफसरों तक शिकायत करने की प्रक्रिया से अनजान है। इसका लाभ सैल्समेन उठा रहे हैं।
शराब के ठेकेदारों पर जमकर मनमानी हो रही है।
सरकारी दुकानों पर नियमानुसार रेट लिस्ट लगी होनी चाहिए। लेकिन अधिकतर दुकानों पर रेट लिस्ट लगी हुई नहीं है। इसका फायदा सैल्समेन उठाते हैं। निरीक्षण करने आने वाले आबकारी अधिकारी इस कमी को अनदेखा करके चले जाते हैं।
इसी प्रकार दुकानें निर्धारित समय पर बंद हो जानी चाहिए लेकिन देर रात तक दुकानें खुली रहती हैं। इस बारे में कोई रोकटोक नहीं है। ठेकेदार निर्धारित समय के बाद भी बेखौफ होकर दुकान खोलने पर तय दरों से अधिक वसूली करते हैं।
स्थानीय प्रशासन व आबकारी अधिकारियों को शिकायत की गई, लेकिन आबकारी अधिकारियों द्वारा कभी कोई प्रभावी कार्रावाई नहीं करने से शराब की दुकान संचालकों के हौंसले दिनों दिन बुलंद होते जा रहे हैं।
-जगदीश रंगा,जिला आबकारी अधिकारी करौली।