इसमें भी खास बात यह है कि संसदीय चुनाव के दौरान धौलपुर जिले के चारों विधानसभा क्षेत्र एक सूत्र में संगठित नजर आते हैं। यानी चारों क्षेत्रों से एक ही प्रत्याशी के पक्ष में बढ़त मिलती है। करौली जिले में यह स्थिति नहीं है। संसदीय सीट के वर्ष2009 के चुनाव में कांग्रेस के खिलाड़ी लाल बैरवा सांसद बने थे तो धौलपुर जिले की चारों विधानसभाओं से उनको बढ़त मिली।
वर्ष 2014 के चुनाव में धौलपुर जिले की चारों सीटों पर भाजपा के मनोज राजौरिया ने बढ़त पाई थी और वे सांसद चुने गए। इस बार के चुनाव में भी धौलपुर जिले ने उनका साथ दिया जिससे वे दूसरी बार सांसद चुने गए। तीनों बार वहां की चारों सीटें पर किसी एक प्रत्याशी को ही बढ़त मिली है। करौली जिले में ऐसा नहीं है। यहां की चारों विधानसभाओं में बढ़त की स्थिति एक समान नहीं रहती।
तीनों बार से संसदीय चुनाव में सपोटरा क्षेत्र से कांग्रेस बढ़त की स्थिति में रही है। इसी प्रकार हिण्डौन में लगातार तीन बार से भाजपा की मजबूत स्थिति रही है।