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करौली

किसानों का खेतों में डेरा, मौसम के मिजाज ने उडाई नींद

गुढ़ाचन्द्रजी. पूरी दुनिया जहां कोरोना के खौफ से भयभीत होकर घरों में कैद है। वही क्षेत्र में किसान अपने खेतों में फसल को समेटने में लगा हुआ है। माड़ क्षेत्र में किसानों ने गत एक पखवाड़े से खेतों में डेरा डाल रखा है।

करौलीMar 23, 2020 / 12:00 pm

Jitendra

किसानों का खेतों में डेरा, मौसम के मिजाज ने उडाई नींद

गुढ़ाचन्द्रजी क्षेत्र में फसल कटाई करती महिलाएं।

फसल समेटने में लगे किसान
गुढ़ाचन्द्रजी. पूरी दुनिया जहां कोरोना के खौफ से भयभीत होकर घरों में कैद है। वही क्षेत्र में किसान अपने खेतों में फसल को समेटने में लगा हुआ है। माड़ क्षेत्र में किसानों ने गत एक पखवाड़े से खेतों में डेरा डाल रखा है। खेतों में सरसों के साथ चने व गेहूं की फसल को किसान काट रहे हैं। साथ ही सरसों व चने की फसल की थ्रेसिंग भी करवा रहे हैं। किसान दिन-रात खेतों में फसल को समेटने में लगे हुए हैं।
किसी खेत में लावणी तो दूसरे खेत में थ्रेसर का जोर सुनाई दे रहा है। इस बार किसान मौसम अनुकू ल रहने से बंपर पैदावार की आस लगाए बैठा हुआ है।
प्रगतिशील किसान नेता शिवदयाल मीना, पूर्व सरपंच रामखिलाड़ी तिमावा, पूर्व विधायक बत्तीलाल मीना, राधेश्याम गिदानी आदि ने बताया कि किसान अच्छी फसल होने से उत्साहित तो हैं। लेकिन मंडी में भाव नहीं मिलने से निराश भी है। किसानों ने पहले जुताई-बुवाई के बाद महंगे दामों में बीज खरीदने के बाद खरपतवार नाशकों के छीड़काव किया। इसके बाद दिन-रात खेतों की रखवाली के बाद अब महंगे दामों में मजदूरों से फसल कटवई जा रही है। ऐसे में प्रतिबीघा उत्पादन लागत बढ़ गई। लेकिन बाजार में फसलों के भाव कम है। सरसों व चने का भाव बाजार में ३५०० चल रहा है।
लागत बढ़ी, भाव वहीं
किसानों का कहना है कि केन्द्र सरकार २०२२ तक किसानों की आमदनी दुगनी करने की बात तो करती है, लेकिन हकीकत में कुछ ऐसा होता नजर नहीं आ रहा। पांच वर्ष पहले बाजार में गेहूं १८०० रुपए क्ंिवटल बिकता था। इसकी कटाई १००० रुपए बीघा पड़ रही थी। वर्तमान में भी गेहूं के भाव लगभग १८०० रुपए क्विंटल है, वहीं कटाई प्रति बीघा २००० रुपए हो गई। बीज, दवाईयां, ट्रेक्टर, डीजल आदि का खर्च दुगना हो गया। लेकिन किसानों को फसल का भाव नहीं बढ़ा है।
खरीद केन्द्र खुलने से खुशी
नादौती में सरकार द्वारा खरीद केन्द्र खुलने पर किसानों ने खुशी जताई है। लेकिन उपज कम लेने से निराश भी है। किसानों ने बताया कि सरकार अधिकतम २ हैक्टेयर भूमी उपज ही ले रही है। जबकि इस बार फसल का उत्पादन अधिक हुआ है। किसानों की फसल खरीद केन्द्रों पर कम मात्रा में लेने से मंडी में बेचने को मजबूर है। दूसरी ओर कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते ३१ मार्च तक मंडी बंद रहने से भी किसानों को निराशा मिली है।

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