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करौली

निवेशकों के करोड़ों रुपए ठगने वाला चिटफंड कम्पनी का एमडी गिरफ्तार

MD of Chit fund company arrested for cheating crores of investors. New Mandi thana police arrested by Kota.10 crore cheated by more than 500 people by opening office in Hindoncityनई मंडी थाना पुलिस ने कोटा से किया गिरफ्तार

करौलीDec 07, 2019 / 10:28 pm

Anil dattatrey

हिण्डौनसिटी. मोटे ब्याज व कम समय में जमाधन दोगुना करने का झांसा देकर क्षेत्र के सैंकडों निवेशकों के करोड़ों रुपए ठगने वाली चिटफंड कम्पनी विश्वामित्र इंडिया परिवार के एमडी मनोज कुमार कौशिक को नई मंडी थाना पुलिस ने शुक्रवार रात कोटा से प्रॉडक्शन वारंट पर गिरफ्तार कर लिया। शनिवार को उसे न्यायालय में पेश किया। जहां से पुलिस ने उसे रिमांड पर लिया है।

पुलिस के अनुसार आरोपी मूलत: उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले के उरमा थानान्तर्गत यशवंतपुर व हाल कोलकाता निवासी मनोज कुमार कौशिक पुत्र लक्ष्मीचंद है। जिस पर हिण्डौनसिटी मेंं भी अपनी कंपनी की शाखा खोल शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के करीब 500 से अधिक लोगों से धोखाखड़ी कर लगभग 10 करोड़ रुपए हड़पने का आरोप है। पुलिस के अनुसार आरोपी मनोज कुमार ने कोलकाता में विश्वामित्र इंडिया परिवार के नाम से चिटफंड कंपनी खोली थी। इसके जरिए आमजन को पैसा दोगुना करने के नाम पर निवेश के लिए आमंत्रित किया।
कंपनी ने 13 राज्यों में एजेंट नियुक्त किए। फिर इन एजेंट्स के जरिए देश भर के लोगों को अपने झांसे में फंसाकर करीब 2200 करोड़ रुपए एकत्रित किए। इस पैसे को रियल एस्टेट में निवेश किया गया। कोलकाता में हुए बहुचर्चित शारदा चिटफंड घोटाले के बाद विश्वामित्र इंडिया परिवार भी संकट में आ गई।
निवेशकों ने पैसा वापस मांगा तो कंपनी ने इनकार कर दिया। इस बीच कंपनी के खिलाफ कई राज्यों में धोखाधड़ी के केस दर्ज हुए। क्षेत्र के निवेशकों ने भी कोतवाली थाने पर कंपनी के एमडी व चेयरमैन मनोज कुमार के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। जिस पर उसे कोटा से गिरफ्तार कर लिया गया।
आरोपी ने माना, निवेशकों के करोड़ों रुपए करने है वापस-
पुलिस हिरासत में विश्वामित्र इंडिया परिवार के एमडी ने बताया कि कोलकाता में हुए शारदा चिटफंड घोटाले के बाद वर्ष 2014 में उनकी कंपनी मुश्किल में आ गई। पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा नया कानून पास करने के बाद सेबी व आरबीआई की मंजूरी के बाद ही कंपनी की प्रॉपर्टी की बिक्री की जा सकती है।
ऐसे में जब निवेशकों ने अपना पैसा वापस मांगा तो पश्चिम बंगाल सरकार का नया कानून आड़े आ गया और निवेशकों के पैसों से खरीदी गई प्रॉपर्टी को बेच नहीं पाए। आरोपी ने माना कि वे निवेशकों का लगभग 2000 करोड़ रुपए वापस कर चुके हैं और अभी 500 करोड़ रुपए वापस करना बाकी है।
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