यह है इस साल की स्थिति
अप्रैल माह से अभी तक 51 महिलाओं की मौत हो गई है। 15 महिलाओं की मौत मेडिकल कॉलेज रैफर करने के बाद हुई हैं। 75 प्रतिशत प्रसूताएं प्रसव के बाद दम तोड़ा है। गर्भावस्था के दौरान 25 फीसदी महिलाओं ने जान गंवाई है। 38 महिलाओं की मौत स्वास्थ्य केंद्रों में हुई है, जिसमें जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उप स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं।
सर्वाधिक मौतें जिला अस्पताल में
हर साल सर्वाधिक मौतें जिला अस्पताल में हो रही हैं। इस साल में होम डेथ 5, जिला अस्पताल में 19, निजी अस्पताल में एक, रास्ते में 4, अस्पताल से अस्पताल में एक महिला की मौत हो गई है। अस्पताल में पर्याप्त इंतजाम, चिकित्सक होने के बाद भी बेपरवाही की जा रही है, जिस पर अस्पताल प्रबंधन द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा। जिला अस्पताल में बेपरवाही के आए दिन मामले सामने आ रहे हैं, इसके बाद भी सीएस डॉ. यशवंत वर्मा ध्यान नहीं दे रहे।
यह बन रही मौत की वजह
महिलाओं की मौत की मुख्य वजह एएनएम व सीएचओ द्वारा ठीक से देखभाल व निगरानी ना करना है। स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक व नर्सिंग स्टॉफ द्वारा उचित देखभाल ना करना भी है। इसके अलावा गंभीर रक्तस्राव, उच्च रक्तचाप, एनीमिया, गर्भावस्था से संबंधित संक्रमण, असुरक्षित गर्भपात से जटिलताएं, अंतर्निहित स्थितियां, उच्च गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य देखभाल, प्रसवोत्तर देखभाल, बचपन के टीकाकरण, पर्याप्त पोषण ना मिलना आदि मौत का करण बन रही हैं।
यह है मौत का आंकड़ा
वर्ष मौतें
2023-24 49
2022-23 64
2021-22 54
2020-21 55
2019-20 47
2018-19 47
2017-18 51
खास-खास
– 2025 तक प्रति लाख प्रसव पर मौत का आंकड़ा करना है 170, अभी चल रहा है 225 के आसपास, फिर भी चल रही है बेपरवाही।
– एएनएम द्वारा एक से 12 सप्ताह के बीच पहली, 2 से 14 सप्ताह के बीच दूसरी, 28 से 34 सप्ताह तक तीसरी, 34 से प्रसव तक करनी चार जांचें अनिवार्य, फिर भी मनमानी।
– तीन माह में व बीच में समस्या होने सहित प्रसव से पहले सोनोग्राफी अनिवार्य, फिर भी हो रही गंभीर लापरवाही, तीन माह से बंद थी जिला अस्पताल की सोनोग्राफी।
– ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषण दिवस की हो रही औपचारिकता, नहीं हो रही महिलाओं की ठीक से निगरानी, कैंप भी नहीं हो रहे आयोजित।
– ब्लड की समय पर पूर्ति ना होना भी बनती है मौत की वजह, एएनसी महिला को नि:शुल्क देना है ब्लड, फिर भी परिजनों को किया जाता है परेशान।
– महिलाओं को समय पर नहीं खिलवाई जा रहीं आयरन व कैल्सियम की दवाएं, एएनएम व सीएचओ नहीं दे रहे ध्यान।
– गर्भवती महिलाओं के रैफरल मामलों की कलेक्टर कर रहे समीक्षा, इसके बाद भी नहीं सुधर रही स्थिति, लगातार सामने आ रही बेपरवाही।
– रात में इमरजेंसी कॉल होने के बाद नहीं पहुंचतीं विशेषज्ञ, फोन पर ही चलता है मार्गदर्शन, या फिर कर दिया जाता है जबलपुर रैफर।
वर्जन
भविष्य में ऐसी घटना ना हो, यह प्रयास किए जा रहे हैं। सभी महिला विशेषज्ञों की बैठक लेकर चर्चा की जाएगी। सुबह का राउंड लेने के बाद शाम को नहीं ले रही हैं। शाम के राउंड को अनिवार्य किया जाएगा। ड्यूटी डॉक्टर पूरी निगरानी करेंगे। लापरवाही सामने आने पर संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
डॉ. आरके अठया, सीएमएचओ।