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हैरान कर देने वाला सच: ‘पेट चीरकर’ निकाले जा रहे ‘नन्हे मेहमान’

प्राइवेट अस्पतालों में 80 फीसदी महिला की सिजेरियन डिलेवरी, 10 माह में निजी अस्पताल में हुए 653 प्रसव में से 470 का कर दिया ऑपरेशनस्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में खुलासा, निजी अस्पतालों में अधिकांश बच्चों का सिजेरियन से हो रहा जन्म

कटनीJan 16, 2024 / 09:11 pm

balmeek pandey

हैरान कर देने वाला सच: ‘पेट चीरकर’ निकाली जा रही ‘नन्हे मेहमानों जान’

हैरान कर देने वाला सच: ‘पेट चीरकर’ निकाली जा रही ‘नन्हे मेहमानों जान’

कटनी. सिजेरियन डिलीवरी जो गंभीर मामलों में प्रसूताओं के लिए वरदान बनी थी, लेकिन अब निजी अस्पतालों ने उसे अपना व्यवसाय बना लिया है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। प्राइवेट अस्पतालों में शिशुओं को जन्म देने वाली प्रसूताएं कितनी सुरक्षित है, इस बारे में कुछ चौंका देने वाले आंकड़े आए हैं। इन आंकड़ों को देख हर कोई दंग रह जाएगा। स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार 1 अप्रैल 2023 से 15 जनवरी 2024 तक सरकारी अस्पतालों में कुल 4 हजार 292 प्रसूताओं के प्रसव करवाए गए और इनमें से केवल 1127 प्रसूताओं का इमरजेंसी के दौरान सिजिरियन ऑपरेशन किया गया। जबकि प्राइवेट अस्पतालों में सरकारी अस्पतालों से कम 653 प्रसव हुए और उनमें से 470 प्रसूताओं के सिजिरियन ऑपरेशन किए गए। आकड़ों से साफ है कि प्राइवेट अस्पतालों में जाने वाली 80 फीसदी प्रसूताओं का सिजिरियन ऑपरेशन किया जा रहा है। खास बात तो यह है कि सरकारी अस्पतालों के मुकाबले प्राइवेट अस्पतालों में सुविधाएं बेहतर मानकर ऐसा खेल हो रहा है, जबकि यह सही नहीं है। लगभग 10 माह में 80 फीसदी प्रसूताओं का सिजेरियन करने के पीछे क्या वजह रही है, इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जवाब नहीं दे पा रहे हैं।

बढ़ रहा लोगों पर खर्च का बोझ
सिजेरियन डिलीवरी से परिवार में खर्च का अतिरिक्त बोझ बढ़ रहा है। ऑपरेशन से जुड़ी दवाएं, उपकरण एक बड़े व्यवसाय का रूप ले चुके हैं। सूत्रों की मानें दवा कंपनियों द्वारा विभिन्न तरीके से डॉक्टरों व अस्पतालों तक पहुंचने वाले कमीशन ने भी सिजेरियन के मामले बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। सामान्य प्रसव का खर्च एक औसत दर्जे के निजी अस्पताल में जहां 20 हजार के आसपास है, वहीं सिजेरियन के मामले में यह 50 हजार से लेकर एक लाख तक है। स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के बढ़ते प्रसार के साथ ही सिजेरियन की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हुई।

यह भी चल रहा है खेल
प्रसव के तत्काल बाद नवजात बच्चों को खतरा बताकर आईसीयू, एसएनसीइयू या फिर वॉर्मर, वेंटीलेटर आदि में रखे जाने का चलन भी तेजी से बढ़ा है। प्रसव के बाद विभिन्न विशेषज्ञ डॉक्टरों की विजिट कराने के नाम पर प्रति डॉक्टर हजार रुपए से लेकर 1500 तक की फीस भी वसूली का एक नया जरिया बनती जा रही है। शहर के प्राइवेट अस्पतालों में सिजिरियन डिलेवरी रुपए कमाने का फार्मूला बन गई है।

दिखाया जाता है डर
डॉक्टर प्रसूताओं को केस बिगडऩे का डर दिखाकर सर्जरी के लिए उनसे हामी भरा लेते हैं। एक बार हामी भरने के बाद नर्सिंग होमों में सर्जरी के लिए दवाओं की लिस्ट पकड़ा दी जाती है। दवा भी उसी नर्सिंग होम की दुकान से खरीदनी पड़ती है। इन दवाओं की कीमत कई हजार रुपए की होती है। कई मामलों में मरीज के परिजनों को आरोप लगाते देखा गया है कि सर्जरी के दौरान इस्तेमाल नहीं की गई दवाओं को प्राइवेट अस्पताल के कर्मचारी परिजनों को लौटाने के बजाय चोरी-छिपे बेच देते हैं।

ये बताते हैं खतरा
प्राइवेट अस्पतालों में डॉक्टर अक्सर प्रसूताओं के परिजनों के सामने बच्चे की जान पर खतरे की आशंका जताते हैं। वे कहते हैं कि बच्चा उल्टा हो गया है, उसके गले में कॉर्ड फंस गया है या फि र उसके मुंह में गंदा पानी चला गया है। अस्पताल में आने वाले ज्यादातर लोग इससे डर जाते हैं और वे डॉक्टर को तुरंत सर्जरी करने की इजाजत दे देते हैं।
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यह है प्रसव व सिजेरियन की स्थिति
वर्ष जिला अस्पताल प्रसव सिजेरियन निजी अस्पताल प्रसव सिजेरियन
2023-24 4292 1127 653 470
2022-23 5840 1340 2267 1442
2021-22 4308 1671 1156 788

विगढ़ की यह है स्थिति
विजयराघवगढ़ सिविल अस्पताल में भी सामान्य प्रसव के साथ सिजेरियन की सुविधा है। यहां पर 2021-22 में 1480 प्रसव में 19 सिजेरियन, 2022-23 में 1582 प्रसव में 29 सिजेरियन व 2023-24 में अबतक 1200 हुए प्रसव में 8 सिजेरियन हुए हैं।

इन निजी अस्पतालों में चल रहे सिजेरियन
स्वास्थ्य विभाग में 14 नर्सिंग होम पंजीकृत हैं जो प्रसव व सिजेरियन की रिपोर्ट कर रहे हैं। सर्वाधिक सिजेरियन ओम शांति हॉस्पिटल, स्पर्श मल्टी स्पेशलिटी, धर्मलोक हॉस्पिटल व एमजीएम में हो रहे हैं। इसके अलावा बजाज, कटनी नर्सिंग होम, श्री हॉस्पिटल, चांडक हॉस्पिटल, गौरी नर्सिंग होम, जीजी नर्सिंग होम, गुप्ता नर्सिंग होम, मां दुर्गा हॉस्पिटल, पुष्पांजली हॉस्पिटल, स्टार रिकवरी होम शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कुछ अस्पताल समय पर रिपोर्ट ही नहीं कर रहे हैं, लेकिन अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे।

वर्जन
निजी अस्पतालों में सामान्य प्रसव के प्रयास नहीं हो रहे हैं। चार्ज अधिक वसूलने के कारण ऐसा किया जा रहा है। भय दिखाकर ऑपरेशन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए जांच कराकर कार्रवाई कराई जाएगी। अनावश्यक सीजर न करने के लिए संचालकों को प्रेरित किया जाएगा। लोग भी जागरुक हों।
डॉ.आरके अठया, सीएमएचओ।

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