यह है होता दुष्परिणाम
जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी का कहना है कि कम उम्र में विवाह करने पर कई दुष्परिणाम होते हैं। सबसे पहले तो पढ़ाई बाधित हो जाती है, जिससे युवक व युवती को बेहतर भविष्य का निर्माण कर पाना संभव नहीं होता। इसके अलावा कमजोर उम्र में ही विवाह के बाद गृहस्थी का बोझ बढ़ जाता है। छोटी उम्र या फिर किशोरी के मां बनने से महिला का स्वास्थ्य खराब हो जाता है। यह समस्या सिफ उस महिला के साथ नहीं बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी यह समस्या होती है। बाल विवाह से महिला सशक्तिकरण की भावना को बढ़ावा नहीं मिल पाता। अक्सर ऐसे मामलों में देखा गया है कि लड़के की उम्र लड़की से बहुत ज्यादा होती है, इससे घर के हर निर्णय को पुरुष ही लेता है, महिला की नहीं सुनी जाती और यह जिंदगी भर चलता है, जिससे महिला के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
एक्सपर्ट ब्यू:
इस संबंध में जिला अस्पताल में पदस्थ महिला चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. सुनीता वर्मा ने कहा कि बाल विवाह बेटी के लिए तो घातक है ही साथ ही लड़के और पूरे परिवार के लिए किसी अभिषाप से कम नहीं होती। बाल विवाह में लड़की छोटी होती जो मानसिक और शारीरिक कमजोर होती है। उसमें गहन और गंभीर निर्णय नहीं लेने की शक्ति नहीं होती। उसे बहु, पत्नी, भाभी सहित अन्य जिम्मेदारियों को निभाना पड़ता है जिसमें वह मानसिक रूप से तैयार नहीं होती। पढऩे-लिखने, सीखने और समझने की 18 वर्ष तक की उम्र होती है। बाल विवाह से लड़की का विकास रुक जाता है। कम उम्र में गर्भ धारण करने पर केयर न करने से गर्भपात की स्थिति बनती है। इससे पूरा शरीर खराब होता है। हॉर्मोंस लेवल कम होता है, खून की कमी रहती है, वह अपनी समस्या नहीं बता पाती, वह गंभीर बीमारियों से ग्रसित होती चली जाती है।
कटनी जंक्शन व मुड़वारा में तीसरी आंख का सख्त होगा पहरा, परिंदा भी नहीं मार सकेगा ‘पर’
इनका कहना है
जिले में अप्रैल माह से अभी तक सूचना और जांच के दौरान 17 बाल विवाह रुकवाए गए हैं। लोगों के उनके द्वारा की जा रही गलती और उसके दुष्परिणाम, सजा के बारे में जानकारी दी गई तो उन्होंने विवाह रोक दिया। लेकिन जरुरत है कि लोग जागरुक हों और बाल विवाह न करके बेटियों व समाज को सशक्त बनाएं।
वनश्री कुर्वेती, जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी।