8 मंडियों में कटनी भी शामिल
मंडी बोर्ड भोपाल के द्वारा प्रदेश की चुनिंता कृषि उपज मंडियों को इस योजना में शामिल किया गया है, जिसमें कृषि उपज मंडी पहरुआ कटनी भी शामिल है। 39 अन्य मंडियों को भी पायलट प्रोजेक्ट में शालिम किया गया है। मंडी में पीओएस मशीन सिस्टम से इ-नीलामी और अनुबंध होना है, लेकिन गति बेहद धीमी है। हालांकि कुछ किसान व व्यापारी इस प्रक्रिया में कई खामियां बता रहे हैं।
किसानों के सामने मोबाइल की चुनौती
किसानों के सामने मोबाइल की गंभीर चुनौती है। कई किसान ऐसे हैं जो मोबाइल नहीं रखते या फिर रखते हैं तो फिर उनके पास की-पैड फोन है। एन्ड्राइड फोन न होने के चलते भी किसानों के सामने इ-दक्ष एप चलाने की चुनौती है। इसके अलावा अधिकांश किसान ऐसे भी हैं तो एन्ड्राइड मोबाइल चलाना भी नहीं जानते।
ऐसे समझें इ-मंडी सुविधा
– मंडी पहुंचने पर किसान अपने एन्ड्रायड फोन में इंस्टाल इ-दक्ष एप के माध्यम पर्ची जारी कर रहे हैं। ऐसा नहीं कर पाने पर मंडी द्वारा भी साफ्टवेयर के माध्यम से पर्ची निकालकर किसान को दी जा रही है, ताकि परेशानी से बचाया जा सके। इस पर्ची के माध्यम से ही किसान मंडी में नीलामी प्रक्रिया में शामिल हो रहा है, पीओएस मशीन व एप में किसान व खरीददार का नाम डालते ही दोनों में अनुबंध हो रहे हैं, इसके बाद तौलकांटे में अनुबंध नंबर के आधार पर भुगतान की प्रक्रिया हो रही है। हालांकि मंडी में कई व्यापारी व बिचौलिया अधिकांश उपज बेचने पहुंचते हैं, इस प्रक्रिया से उनकी भी मनमानी रुकेगी।
मैन्यूअल काम होना है बंद
मंडी के अधिकारी बताते हैं पीओएस मशीन सिस्टम लागू हो जाने के बाद सभी काम पेपरलेस हो जाएंगे। मंडी में पूरा काम डिजिटली होगी। मंडी बोर्ड से प्राप्त निर्देश के आधार पर यहां के सचिव, निरीक्षकों व अन्य स्टॉफ द्वारा इस योजना पर काम किया जा रहा है। हालांकि इसको लेकर कर्मचारियों को भी सीखने में समस्या जा रही है।
योजना को लेकर खास-खास
– हर दिन 6 से 10 हजार क्विंटल उपज की हो रही है कृषि उपज मंडी में किसानों से खरीदी।
– दो बार मंडी में किसानों व तुलावटियों को दिया गया है प्रशिक्षण, इसके बाद भी ऑनलाइन वर्किंग में नहीं आया सुधार।
– 150 से लेकर 200 किसान तक आते हैं कृषि उपज मंडी में अनाज बेचने, कटनी सहित अन्य जिलों के पहुंचते हैं किसान।
– 2 से 3 ऑफ सीजन व मुख्य सीजन में 5 लाख रुपए तक प्रतिदिन मिल रहा है मंडी को राजस्व।
– यहां पर होने वाली खरीदी में प्रति सैकड़ा के मान से एक रुपए राजस्व की हो रही है प्राप्ति।
वर्जन
ई-मंडी सिस्टम लागू हो गया है। अभी 25 से 30 फीसदी काम हो रहा है। किसानों व तुलावटियों सहित कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। पीओएस मशीनें भी आनी हैं। पूरी तरह से ऑनलाइन प्रक्रिया करने के निर्देश हैं। शीघ्र ही इस दिशा में प्रभावी पहल की जाएगी।
राकेश पनिका, प्रभारी सचिव मंडी।