बता दें कि यह टीम ग्राउंड वॉटर की स्टडी करती है। टीम जब सर्वे करके बताती है कि पानी की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में इस स्थान पर मिलेगी उसके बाद ही लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग नलकूप खनन की प्रक्रिया शुरू कर रहा है। रीठी और बहोरीबंद क्षेत्र के कई गांवों में इस प्रयोग से पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा रही है। इस तनकीक का उपयोग कर अब जिले के जिस गांव में समस्या आ ही है वहां पर भू-जल का पता लगाने के बाद ही नलकूप कराए जा रहे हैं। इससे फिजूलखर्ची तो बच ही रही है साथ ही भीषण गर्मी में लोगों को राहत मिल रही है।
केस 01
ग्राम सैदा में कई दिनों से पेयजल की समस्या थी। ग्रामीणों द्वारा समस्या से अवगत कराया, मामला पीएचइ तक पहुंचा। हाइड्रो जुलाजिस्ट की टीम पहुंचे। भू-जल स्तर जहां पर आसानी से मिलना था वहां चिन्हित किया और बोरिंग कराकर पेयजल की सुविधा मुहैया कराई गई।
केस 02
ग्राम बिरूहली में भी भीषण गर्मी के कारण नलकूपों और हैंडपंपों ने काम करना बंद कर दिया था। ग्रामीणों ने परेशानी की शिकायत पीएचइ से की। यहां पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की टीम पहुंची। सर्वे किया और जहां पर आसानी से पानी मिला वहां पर नलकूप का खनन कराया।
केस 03
रीठी तहसील क्षेत्र का ग्राम खुसरा जो पेयजल की समस्या के लिए ही जाना जाता है। यहां पर एक गुफा नुमा चट्टान से पानी रिसता है उसी के सहारे ग्रामीण 12 माह गुजारा करते हैं। यहां भी हाइड्रो जुलाजिस्ट टीम पहुंची और पानी की सुविधा मुहैया कराई है।
इनका कहना है
गर्मी के कारण वॉटर लेवल एकदम नीचे चला गया है। हैंडपंप और नलकूप काम नहीं कर रहे। ऐसे में कई स्थानों पर नए नलकूपों के माध्यम से काम चलाया जा रहा है। इसके लिए इस बार हाइड्रो जुलाजिस्ट की टीम द्वारा सर्वे कर पानी की उपलब्धता बताने के बाद ही खनन कराया जा रहा है, ताकि बेवजह नलकूप खनन में रुपयों की बर्बादी न हो।
नैंसी जैन, एसडीओ, पीएचइ।