कटनी. हद है इन धरती के भगवान माने जाने वालों की, अस्पताल में रहते हुए मरीज की हालत बिगड़ने पर झांकने तक नहीं जाते, उल्टा तीमारदारों को डांट कर भगा देते हैं। नतीजा मरीज तड़प-तड़प कर मौत की नींद सो जाता है। इतने पर भी नहीं पसीजते, शव तक को ले जाने का इंतजाम नहीं, वो भी परिजनों को बाइक से ले जाना होता है। ये हाल है मध्य प्रदेश के सरकारी चिकित्सालयों का।
ताजा तरीन उदाहरण है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रीठी का, जहां एक नवजात शिशु का इलाज चल रहा था। शुक्रवार की शाम उसकी तबीयत बिगड़ गई तो परिजनो ने इसकी सूचना स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद डॉक्टर व नर्स को दी। लेकिन वो उस बच्चे को देखने तक नहीं गए। कई बार टोकने पर झिड़क दिया, डांट कर भगा दिया। नतीजा देर शाम बच्चे की मौत हो गई।
घटना के संबंध में बताया जाता है कि मुंहास निवासी दीनदयाल सेन की पत्नी निर्मला सेन प्रसव के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आई थीं। बुधवार शाम सामान्य प्रसव से महिला ने नवजात को जन्म दिया। परिजनों का आरोप है कि प्रसव के बाद डॉक्टर दोबारा जच्चा-बच्चा को देखने तक नहीं आए। आरोप ये भी है कि जन्म के बाद जब बच्चा जब उनकी गोद में पहुंचा तभी से उसे बुखार रहा। बावजूद इसके स्टाफ सब सामान्य बता रहे थे। शुक्रवार की शाम उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो भी सूचना देने के बाद भी कोई नहीं पहुंचा। नतीजा उसने दम तोड़ दिया।
बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्टॉफ पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा खड़ा कर दिया। लेकिन इससे क्या होना था, कुछ लोग आगे आए और परिजनों को समझा कर शांत कर दिया। इसके बाद सवाल खड़ा हुआ कि क्या बच्चे के शव को घर तक पहुंचाने को कोई साधन मिलेगा? लेकिन ऐसा कुछ भी वहां नहीं था, ऐसे में परिजनों ने शव को एक चादर में लपेटा और बाइक से ही चल दिए।
कोट “परिजनों का आरोप निराधार है, जिस स्टाफ नर्स की बात परिजन कर रहे है। उस स्टाफ नर्स ने स्तनपान को लेकर कई बार समझाया था। बावजूद इसके परिजन नवजात को बाहर से दूध पिलाते रहे। इसी के चलते ऐसा हुआ।”-डॉ. बबीता सिंह,प्रभारी बीएमओ रीठी
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