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#coronavirus: लॉकडाउन से चौपट हुआ धंधा, अभी से खाने के लाले, सेन समाज के लोगों ने कहा आगे होगी गंभीर समस्या, देखें वीडियो

लॉकडाउन निश्चित तौर पर जिले वासियों को कोरोना वायरस जैसी गंभीर महामारी से बचा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन काफी हद तक हो रहा है। इसी का परिणाम है कि जिले में अभी तक एक भी कोरोना के पॉजिटिव केस नहीं आए हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते लोगों की कमर टूटने लगी है। लॉकडाउन से शहर से लेकर गांव तक लोगों के बाल काटकर, दाढ़ी बनाकर भरण-पोषण करने वाला नाई समाज अब परेशान होने लगा है।

कटनीApr 12, 2020 / 07:04 pm

balmeek pandey

Sen society suffers from lockdown

Sen society suffers from lockdown

कटनी. लॉकडाउन निश्चित तौर पर जिले वासियों को कोरोना वायरस जैसी गंभीर महामारी से बचा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन काफी हद तक हो रहा है। इसी का परिणाम है कि जिले में अभी तक एक भी कोरोना के पॉजिटिव केस नहीं आए हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते लोगों की कमर टूटने लगी है। लॉकडाउन से शहर से लेकर गांव तक लोगों के बाल काटकर, दाढ़ी बनाकर भरण-पोषण करने वाला नाई समाज अब परेशान होने लगा है। लॉक डाउन के चलते अब घर का बजट बिगड़ गया है। पत्रिका ने पड़ताल की तो सामने आया कि कुछ दिनों तक और बंद रहा तो फिर खाने के लाले पड़ जाएंगे। अभी तो जो कुछ कमाया था किसी तरह काम चला रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति गंभीर होती जा रही है। नाई समाज के लोगों का यह भी कहना है कि जब सब्जी, दूध, फल, फूल, खाद्यान्न सामग्री सहित अन्य दुकानदारों को थोड़ी छूट दी जा रही है, तो आखिर नाई समाज के लोगों को क्यों नहीं दी जा रही। कुछ घंटे काम करके रुपए जुटाए तो किसी तरह से परिवार का भरण-पोषण कर पाएं। नाई समाज के प्रदेश सहसचिव रीठी निवासी बिन्जन श्रीवास ने इसके लिए पहल शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि जब सरकार सत्ता हासिल करने के बाद अरबों-खरबो रूपये का जनता का कर्ज माफ कर सकती है तो हम समाजिक कामगारो के लिए सरकार की तरफ से क्या सुरक्षा व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि समाज के कई लोग छोटी सी दुकान लगाकर अपनी रोजी-रोटी चलाते है। समस्या को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे। विचार-विमर्श के दौरान अरूण कुमार सेन, क्रषण कुमार सेन, संजय श्रीवास, विनोद सेन, लक्ष्मीकांत सेन, सोनू सेन, कमलेश सेन सहित समाज के अन्य लोग उपस्थित थे।

ग्रामीण क्षेत्रों के भी हालात बेहाल
नाइयों की माली हालत सिर्फ शहर में ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी खराब हो चली है। बड़वारा, मझगवां, बसाड़ी, बिलायतकला, उमरियापान, ढीमरखेड़ा, सिलौड़ी, स्लीमनाबाद, बहोरीबंद, बाकल, सलैया, तेवरी, बिलहरी, रीठी, बडग़ांव, कन्हैया, विजयराघवगढ़, कैमोर, बरही, खितौली सहित अन्य बड़े गांव एवं कस्बों के नाइयों की दुकानें भी बंद हैं। वे घरों में कैद हैं।

गावों में भी बंद बालों की कटाई व दाढ़ी
गांवों में सदियों से प्रथा चली आ रही है कि नाई घर-घर जाकर साल भर लोगों के दाढ़ी और बाल काटते हैं। इनके बदले उन्हें जब 6-6 माह में रबी और खरीफ की फसल आती है तो उसका पारिश्रमिक दिया जाता हैद्ध ऐसे में उन्हें चिंता सता रही कि जब लोगों के बाल और दाढ़ी काटने को नहीं मिलेंगे तो फिर उनका मेहनताना कैसे मिलेगा। महामारी के चलते सदियों पुरानी प्रथा भी लॉकडाउन के चलते बंद हो गई है।

सीएम को सौेंपगे ज्ञापन
नाई समाज के प्रदेश सह सचिव रीठी निवासी बिन्जन श्रीवास ने इसके लिए पहल शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि जब सरकार सत्ता हासिल करने के बाद अरबों-खरबो रूपये का जनता का कर्ज माफ कर सकती है तो हम समाजिक कामगारो के लिए सरकार की तरफ से क्या सुरक्षा व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि समाज के कई लोग छोटी सी दुकान लगाकर अपनी रोजी-रोटी चलाते है। विचार-विमर्श के दौरान अरूण कुमार सेन, क्रषण कुमार सेन, संजय श्रीवास, विनोद सेन, लक्ष्मीकांत सेन, सोनू सेन, कमलेश सेन सहित समाज के अन्य लोग उपस्थित थे।

यह हैं हालात
जूझ रहे आर्थिक तंगी से
मुन्नालाल सेन निवासी पिपरियासहलावन ने बताया कि भूमिहीन व्यक्ति है। किसानों के घर-घर जाकर बाल काटता है। किसानों के यहां से मिलने वाला फसलीवार गेहूं व धान से परिवार का भरण-पोषण चलता है। साथ ही कुछ अन्य लोगों के बाल नगद लेकर भी काटने का काम करता था, जिससे घर का खर्च निकल आता था। लॉडाउन से पूरा परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। 20 वर्षीय युवक संदीप सेन ने बताया कि इससे पहले वह शहर में सैलून की दुकान में बाल काटने का काम करता था, लॉकडाउन से वह गांव आ गया है। आर्थिक समस्या हो रही है।

आगे की सता रही चिंता
उमरियापान में बाल काटकर परिवार का भरण-पोषण करने वाले राजकुमार सेन का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान अभी रूखा-सूखा खाकर किसी तरह परिवार का पेट पाल रहे हैं, लेकिन कुछ दिनों तक और बंद रहा तो फिर भारी समस्या होगी। पूर्व में जो दाढ़ी बाल बनाकर रुपये जोड़े थे उससे काम चल रहा है, आगे की बजट गड़बड़ा गया है। इसलिए शासन को चाहिए कि अपनी सुविधा के अनुसार निर्णय ले और सभी का ध्यान रखें।

जोड़े हुए रुपए खत्म,अब आगे होगी परेशानी
बड़वारा क्षेत्र के ग्राम रोहनिया निवासी संदीप श्रीवास बाल की दुकान संचालित कर परिवार का भरण पोषण करता है। संदीप ने बताया कि जो रुपए पूर्व में जोड़े हुए थे उससे किसी तरह काम चला, लेकिन अब और लॉकडाउन रहा तो परिवार के भरण-पोषण की समस्या होगी। इसलिए अब धीरे-धीरे सभी को छूट मिलनी चाहिए, ताकि उनका भी जीवन यापन-चलता रहे।

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