जिसमें ग्राम का पूरा निस्तारण सुचारू रूप से चल रहा था लेकिन उक्त जमीन से लगी कृष्ण कुमार पिता भगवानदास गुप्ता कुआं के नाम भू अभिलेख में दर्ज है। ठीक उसी का नाजायज फायदा उठा कर पारस गुप्ता पिता भगवानदास गुप्ता कुआं निवासी तालाब व खेल मैदान को अपना निशाना बना धड़ल्ले से गेहूं की फसल बोकर, तालाब का पानी निकाल कर खेती करने लगा।
वहीं दूसरी ओर मवेशी पानी के अभाव में भटक रहे हैं और गांव का भी निस्तारण बंद कर दिया। गांव के लोगों द्वारा यदि किसी प्रकार की कोई शिकायत की जाती है तो झुठी मन-गढ़ंत कहानी रच अधिकारियों को गुमराह कर दिया जाता है और रौब जमाने का प्रयास कर अवैध कब्जा से ध्यान हटाने का षड्यंत्र रचा जा रहा, जो कि गमीणो की शिकायत में पूर्व में मौके से कब्जा हटाने को कहा गया था लेकिन नियमों को दरकिनार कर दिया है।
अब खेल मैदान के अभाव में गांव के खिलाड़ी दर-दर भटक रहे जब इसकी जानकारी सरपंच से ली गई तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए बताया कि मैं गांव के किसी भी व्यक्ति से बुराई नहीं करना चाहता जिसके कारण में अभी तक किसी अधिकारी को लिखित शिकायत नहीं दी।