नहीं आया कोई संकट
कटनी से 20 किलोमीटर दूर बरही रोड पर स्थित है मां कंकाली धाम निगहरा। जहां माता पहाड़ में विराजमान हैं। ग्रामीणों की यहां मान्यता है कि उनकी कृपा से गांव में भी कभी कोई भीषण संकट नहीं आया। इस वजह से माता की कीर्ति दूर-दूर तक फैली है। निगरहा में नेत्र रूप में पूजी जाने वाली मां कंकाली का इतिहास बताते हुए गांव के विजय दुबे ने बताया कि कंकाली माता एक कुएं से प्रकट हुई थीं। कहा जाता है कि गांव में स्थित एक पुराने कुएं में एक बर्मन पानी भर रहा था पानी के साथ बाल्टी में मां प्रकट हो चुकी थीं। रात में घड़े से गडगड़़ाहट की आवज सुनाई दी जिसके बाद उसने इसकी सूचना गांव वालों को दी। सभी ने देखा कि घड़े में एक आंख चमक रही है। निकालने पर देखा कि नेत्र जैसे आकार में पत्थर घड़े के पानी में ऊपर तैर रहा है। घड़ा रात में ढांक कर रख दिया गया। इसी दौरान रात में पंडे को मां ने स्वयं सपना दिया मैं इस गांव में आ चुकी हूं मेरी स्थापना पहाड़ में करवाओ। सुबह होते ही यह खबर आस-पास के क्षेत्र में भी फैल गई। निगरहा के ग्रामीणों ने विधि-विधान से मां कंकाली की स्थापना कराई। अब भक्ति पंडा मां का सेवा कर रहे हैं।
8 दशक पुराना है मंदिर
विजय दुबे, सुशील दुबे, पंडा भक्ति ने बताया कि पहले इस मंदिर में एक छोटी मढिय़ा बना कर पूजा की जाती थी। धीरे-धीरे ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर में सीढ़ीयों का निर्माण पहाड़ में चढऩे करवाया गया। मढिया के स्थान पर एक मंदिर की स्थापना भी गई। नवरात्र में यहां जवारा व अन्य विषेश पूजा का आयोजन किया जाता है। यह मंदिर करीब 82 वर्ष से अधिक समय से बना है। नवरात्र में निगहरा ग्राम व उसके आस-पास के ग्रामीण अंचलों के श्रद्धालु जल ढारने पैदल चल कर यहां पहुंचते हैं। मनौती पूरी होने के चलते हर वर्ष यहां पर कलशों की संख्या बढ़ती जाती है।