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कटनी

चैत्र नवरात्र विशेष: कुएं से निकली कंकाली माता, नेत्र रूप में हो रही अराधना, जुलूस में उजड़ा हुजूम

कंकाली धाम निगहरा में दर्शन-पूजन के लिए उमड़ रहे श्रद्धालु

कटनीApr 14, 2019 / 06:28 pm

balmeek pandey

Special Story of Kankali Temple nigahra

Special Story of Kankali Temple nigahra

कटनी. समूचा जगत शक्ति की अराधना में लीन है। अल सुबह से मां के दरबार में जल ढारने, आरती पूजन के लिए भक्तों के मन में आस्था हिलोर मार रही है। शक्ति की कृपा भी भक्तों पर बरस रही है। जिले के ग्राम निगहरा में विराजीं मां कंकाली के धाम में मां दर्शन-पूजन के लिए चैत्र नवरात्र में विशेष भीड़ उमड़ रही है। इसकी मुख्य वजह है मां के धाम में हर वर्ष जवारा कलश का बढ़ जाना। गांव के सुशील दुबे, शिवकुमार दुबे, विजय दुबे, विकास दुबे ने बताया कि नवरात्र का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। पहाड़ी में नेत्र रूप में विराजी मां की कृपा से गांव के लोग सदियों से खुशहाली का जीवन जी रहे हैं। मां के धाम की प्रमुख विशेषता है कि हर वर्ष जवारा कलश बढ़ जाते हैं। गांव के प्रत्येक परिवार व मां की कृपा से अभिभूत हुए श्रद्धालु द्वारा कलश स्थापित कराए जाते हैं। हर वर्ष 500 से 700 कलश गिनती के बोए जाते हैं, लेकिन कभी 3 तो कभी 5 कलश बढ़ जाते हैं। ऐसे धाम में ब्रम्ह मुहूर्त से 577 सीढ़ी चढ़कर प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालुओं का तांता लगता है। स्थानीय लोगों की मानें तो यहां पर कुएं से एक आंख निकली और अचानक उन्होंने मां कंकाली का रूप धारण कर लिया। तभी से आज तक मां की नेत्र रूप में आराधना हो रही है।

नहीं आया कोई संकट
कटनी से 20 किलोमीटर दूर बरही रोड पर स्थित है मां कंकाली धाम निगहरा। जहां माता पहाड़ में विराजमान हैं। ग्रामीणों की यहां मान्यता है कि उनकी कृपा से गांव में भी कभी कोई भीषण संकट नहीं आया। इस वजह से माता की कीर्ति दूर-दूर तक फैली है। निगरहा में नेत्र रूप में पूजी जाने वाली मां कंकाली का इतिहास बताते हुए गांव के विजय दुबे ने बताया कि कंकाली माता एक कुएं से प्रकट हुई थीं। कहा जाता है कि गांव में स्थित एक पुराने कुएं में एक बर्मन पानी भर रहा था पानी के साथ बाल्टी में मां प्रकट हो चुकी थीं। रात में घड़े से गडगड़़ाहट की आवज सुनाई दी जिसके बाद उसने इसकी सूचना गांव वालों को दी। सभी ने देखा कि घड़े में एक आंख चमक रही है। निकालने पर देखा कि नेत्र जैसे आकार में पत्थर घड़े के पानी में ऊपर तैर रहा है। घड़ा रात में ढांक कर रख दिया गया। इसी दौरान रात में पंडे को मां ने स्वयं सपना दिया मैं इस गांव में आ चुकी हूं मेरी स्थापना पहाड़ में करवाओ। सुबह होते ही यह खबर आस-पास के क्षेत्र में भी फैल गई। निगरहा के ग्रामीणों ने विधि-विधान से मां कंकाली की स्थापना कराई। अब भक्ति पंडा मां का सेवा कर रहे हैं।

8 दशक पुराना है मंदिर
विजय दुबे, सुशील दुबे, पंडा भक्ति ने बताया कि पहले इस मंदिर में एक छोटी मढिय़ा बना कर पूजा की जाती थी। धीरे-धीरे ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर में सीढ़ीयों का निर्माण पहाड़ में चढऩे करवाया गया। मढिया के स्थान पर एक मंदिर की स्थापना भी गई। नवरात्र में यहां जवारा व अन्य विषेश पूजा का आयोजन किया जाता है। यह मंदिर करीब 82 वर्ष से अधिक समय से बना है। नवरात्र में निगहरा ग्राम व उसके आस-पास के ग्रामीण अंचलों के श्रद्धालु जल ढारने पैदल चल कर यहां पहुंचते हैं। मनौती पूरी होने के चलते हर वर्ष यहां पर कलशों की संख्या बढ़ती जाती है।

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