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‘मां’ को गंवाया फिर मिली ‘ममता’ ने संवारी जिंदगी, अजब है इनकी समाजसेवा की ललक

शहर की दो महिलाओं ने कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने का उठाया बीड़ा

कटनीApr 28, 2019 / 03:38 pm

balmeek pandey

Women doing work to eliminate malnutrition

Women doing work to eliminate malnutrition

कटनी. मां के गर्भ में नौ माह तक पलने के बाद जैसे ही खुले संसार में सांसें लेना शुरू किया तो शायद उन बच्चों के लिए इससे बड़ा दुख नहीं होगा कि जन्म देकर लालन-पालन करने वाली मां ही उनका साथ छोड़कर दुनिया से चल बसी हो। खासकर ऐसे बच्चे जो शारीरिक रूप से कमजोर हों। लेकिन ऐसे बच्चों को ‘मांÓ की तरह मिल रही ‘ममताÓ से जिंदगी खुशनुमा बन रही है। हम बात कर रहे हैं शहर की दो समाजसेवी महिलाओं की। जिन्होंने कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने का अभियान छेड़ा है। वे सिर्फ यह जवाबदारी शासन की न समझते हुए समाज का उत्तरदायित्व मानते हुए कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने में मिसाल बन रही हैं। अभी तक महिलाओं ने 12 कुपोषित बच्चों को सुपोषित किया है। उनका यह कारवां लगातार आगे बढ़ रहा है। समाजसेवी राजेंद्र कौर लाम्बा विशेष पहल में लगी हैं। उनका मानना है कि इस अभियान में हर किसी को आगे आना चाहिये। इस काम से मन को बहुत संतुष्टि मिलती है।

खबरों से मन में पैदा हुई टीस
गुरुनानक वार्ड निवासी पूर्व प्राचार्य एवं समाजसेवी राजेंद्र कौर लाम्बा ने दो ऐसे बच्चों को सुपोषित किया है, जिनकी मां इस दुनिया में नही हैं। अखबारों में कुपोषण की समस्या को पढ़कर वे एक दिन जिला अस्पताल के एनआरसी पहुंचीं। यहां पर देखा कि कन्हवारा से एक बुजुर्ग महिला अपने नाती आदर्श कोल का इलाज कराने पहुंची थी। वह बहुत कमजोर था। उन्होंने उसे गोद लिया और डायटीशियन के सहयोग से सुपाषित कराया। इस के अलावा सितंबर में कैंप निवासी डेढ़ वर्षीय बच्ची धानी कोल को गोद लिया, इसकी भी मां चल बसी है। यह बच्ची भी अब एकदम स्वस्थ हो गई है। न्यूट्रीशियन कशिश बत्रा भी इस अभियान को गति दे रही हैं। अपने फै्रंड्स के सहयोग से कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने में जुटी हैं। उन्होंने बताया कि विभाग के अलावा अभी तक 12 बच्चों को वे लोग गोद लेकर सुपोषित कर चुकी हैं।

मिला है विशेष सम्मान
राजेंद्र कौर लाम्बा ने बताया कि अब वे लगातार आंगनवाड़ी, महिला बाल विकास विभाग, एनआरसी में संपर्क करती हैं। जरुरतमंद बच्चों को गोद लेकर उन्हें सुपोषित करने का बीड़ा उठाया है। सोमवार को भी एक बच्चे को गोद लेने के लिए तैयारी में हैं। डायटीशियन के हिसाब से हर संभव मदद किया न सिर्फ बच्चों को सुपोषित करने बल्कि उनकी आगे की शिक्षा-दीक्षा में सहयोग का संकल्प लिया है। ऐसे बच्चे चिन्हित कर स्वयं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के संपर्क में आकर पहल कर रही हैं। अपने सामने वजन और परीक्षण कराती हैं। इसके लिए उन्हें स्नेह सरोकार सम्मेलन में विशेष सम्मान दिया जा चुका है।

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