सपा शासनकाल मे कौशांबी जिले के आठ यमुना घाटों पर अवैध तरीके से जमकर मोरंग का खनन कराया गया था। प्रतिबंधित पोकलैंड व जीसीवी मशीनों के अलावा एनजीटी के नियमों की अनदेखी कर पनचक्की लगा जमकर खनन कराया गया। ट्रकों, डंफर व ट्रैक्टरों के जरिये जमकर ओवरलोडिंग कर मोरंग का परिवहन किया गया। यमुना घाटों के पास अवैध रूप से हजारों घन मीटर बालू का भंडारण भी कथित सिंडीकेट व बालू कारोबारियों ने कराया था। लगातार किए जा रहे अवैध बालू खनन को लेकर यमुना किनार बसे लोगों ने जिला प्रशासन से कई बार शिकायत भी किया लेकिन सत्ता के इशारे पर किए जा रहे खनन पर सभी ने चुप्पी साधे रखा। सराय अकिल इलाके के अमर सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट मे एक जनहित याचिका दाखिल किया था। जिसमें अवैध मोरंग खनन के तमाम साक्ष्य न्यायालय को सौपे गए थे। जिस पर नयायालय ने कौशांबी जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब किया था। रिपोर्ट न मिलने पर हाईकोर्ट न सीबीआई को जांच सौपा था। बालू खनन मामले मे सीबीआई ने सबसे पहले कौशांबी मे खनन दफ्तर पहुंच संबन्धित प्त्रावालियन अपने कब्जे मे लिया था। चार बार सीबीआई ने कौशांबी पहुंच जांच किया था। इस दौरान सीबीआई ने तत्कालीन खनन निरीक्षक अरविंद कुमार, कथित सिंडीकेट के गुर्गों सहित कई स्थानीय लोगों से पूछताछ किया था। सीबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट को सौप दिया था। हालांकि उसके बाद से मामला ठंडे बस्ते मे चला गया था। इधर हमीरपुर में सीबीआई की छापामारी के बाद कौशांबी में कई मोरंग कारोबारियों के होश उड़े हुए हैं। आशंका जताया जा रहा है की सीबीआई एक बार फिर कौशांबी पहुंच मोरंग कारोबार से जुड़े लोगों से पूछताछ कर सकती है।