scriptइस मंदिर में खंडित शिवलिंग की पूजा करने से पूरी होती है मनोकामनाएं | Fulfill Wish from Fracture shivaling worship in mahakaleshwar temple | Patrika News
कौशाम्बी

इस मंदिर में खंडित शिवलिंग की पूजा करने से पूरी होती है मनोकामनाएं

इस मंदिर में खंडित शिवलिंग की पूजा करने से मनोकामनाएं होती है पूरी महाभारतकाल में अज्ञातवास के दौरान पांडु पुत्रों ने स्थापित किया था महाकालेश्वर शिवलिंग मंदिर पर औरंगजेब के चढ़ाई किया तब नागा बाबा ने शिवलिंग खंडित कर शत्रुओं को खदेड़ दिया था।

कौशाम्बीJul 29, 2019 / 02:19 pm

sarveshwari Mishra

Mahakaleshwar temple

Mahakaleshwar temple

कौशाम्बी. कहावत है हिन्दू धर्म मे खंडित मूर्तियों की पूजा वर्जित है लेकिन कौशांबी के कडा धाम स्थित महाकालेश्वर मठ मे खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है। मान्यता है कि यहां खंडित शिवलिंग की पूजा करने वाले भक्तों की मनोकामना भी पूरी होती है। मठ के महंत व आस पास के लोगों की माने तो गंगा किनारे स्थित इस शिवलिंग को महाभारत काल मे पांडु पुत्र युधिष्टिर ने अपने आज्ञातवास के दौरान किया था। कालांतर में जब औरंगजेब ने भारत के मंदिरों पर आक्रमण किया था तो कालेश्वर मंदिर पर भी उसके सैनिकों ने धावा बोला था। उस समय मठ में रहने वाले महंत उमराव गिरि जी महाराज उर्फ नागा बाबा ने रक्षार्थ भोले नाथ की आराधना की लेकिन सैनिक पल-पल पास आते जा रहे थे तब क्रोधित नागा बाबा ने शिवलिंग पर अपने फरसे से प्रहार कर दिया। इस पर शिवलिंग से असंख्य भौरे (मधुमक्खी) निकाल कर औरंगजेब के सेना पर टूट पड़ी और उसे मार गिराया। तब से लेकर आज तक इस खंडित शिवलिंग की लगातार पूजा की जा रही है।
गंगा तट पर स्थित महाकालेश्वर मंदिर की स्थापना के बारे में जो किवदंती है उसके मुताबिक महाभारत काल में कडा धाम को करोकोटक वन के नाम से जाना जाता था। इसी करोकोटक वन में पांडु पुत्रों ने अपने अज्ञातवास का कुछ समय व्यतीत किया था। अज्ञातवास के दौरान ही धर्मराज युधिष्टिर ने यहां शिवलिंग की स्थापना कर परिवार सहित पूजन किया था। कालांतर में यहां मठ बना और उमराव गिरि जी महाराज उर्फ नागा बाबा जिन्हें आल्हा-उदल का गुरु भी कहा जाता है यहा के महंत बने। मठ के महंत जंगल बाबा की माने तो भारत में जब औरंगजेब ने आक्रमण कर मंदिरों को तहस-नहस करना शुरू किया तो उसके सैनिकों ने यहां भी धावा बोला। उस समय नागा बाबा ने सैनिकों से मंदिर को बचाने के लिए शिवलिंग की पूजा की लेकिन सैनिक पल पल नजदीक आते गए। इस पर नागा बाबा क्रोधित हो गए और अपने फरसे से शिवलिंग पर प्रहार कर दिया। पहले प्रहार से शिवलिंग खंडित हुआ और उससे खून की धारा निकल गंगा तक पहुंच गई। दूसरे प्रहार से शिवलिंग से दूध की धारा निकली वह भी गंगा में समाहित हो गई। जबकि तीसरे प्रहार से शिवलिंग से असंख्य भौरे (मधुमक्खियां) निकली और औरंगजेब की सेना पर टूट पड़ी। अचानक हुए मधुमक्खियों के हमले से सेना मे भगदड़ मच गई। अधिकतर सेना वहीं मारी गई और जो बची वह किसी तरह से भाग निकली। कहते है इसके बाद औरंगजेब भी यहां का भक्त बन गया था। इस घटना के बाद से आज तक खंडित शिवलिंग अपनी जगह पर स्थापित है और बिना किसी संकोच धार्मिक धारणाओं को परे रख भक्तगण पूजा पाठ करते हैं। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में पूजा करने वाले भक्तों पर भोले नाथ बाबा का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है, उन पर कभी कोई संकट नहीं आता।
BY- Shiv Nandan Sahu

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो