सोमवार को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के हुए लिए हुए उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार अवधरानी ने दो बार अध्यक्ष रह चुकी मधुपति को महज एक वोट से शिकस्त दिया था। अवधरानी को 12 व मधुपति को 11 मत मिले थे। 26 सदस्यों वाले सदन में तीन सदस्यों ने मतदान नहीं किया था। महज एक वोट से हार के बाद उदास मधुपति ने कहा कि वह साजिश का शिकार हुई है। जिसके चलते उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी। जिले के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मधुपति को पूर्व मंत्री व कौशांबी लोकसभा के प्रत्याशी रहे इंद्रजीत सरोज का राजनैतिक विरोध हार का कारण बना।
इंद्रजीत सरोज ने अपने खास तीन जिला पंचायत सदस्यों को मतदान करने से रोक लिया था। कहा जा रहा है कि यह सदस्य मतदान करते तो वह मधुपति के पक्ष में रहते। यह भी चर्चा है कि यदि मतदान 29 जुलाई को हो गया होता तो जीत का सेहरा मधुपति के सिर पर होता। भाजपा विधायकों व सांसद के चुनावी मैदान में कूदने के बाद मतदान की तिथि आगे बढ़ाई गई। जिसके बाद भाजपा उम्मीदवार ने मधुपति के पाले में रहने दो सदस्यों को अपने साथ मिला लिया। इन्ही दो सदस्यों के मत के चलते मधुपति चुनाव हारी हैं।