दो दिन में सात बार होता है राम-रावण की सेना में युद्ध
दारानगर की रामलीला में कुप्पी युद्ध के लिए दो दिन में 7 लड़ाई दोनों दलों के बीच होती है। पहले दिन चार चरणों में लड़ाई होती है। जिसमें चारों लड़ाई रावण की सेना जीतती है। दूसरे दिन तीन लड़ाई होती है। यह तीनों लड़ाई जीत कर राम की सेना विजय पर्व विजय दशमी मानती है। दोनों दिन के सभी साथ युद्ध दस-दस मिनट के होते है। राम व रावण दोनों ही दल में 25 -25 सेनानी होते है। युद्ध इतना विकराल होता है कि देखने वालो के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। युद्ध में सेनानी घायल भी हो जाते है लेकिन रण भूमि की मिट्टी ही इनके लिए दवा का काम करती है। सेनानी बताते है कि युद्ध में शामिल होना उनके लिए गौरव की बात है। पहले दिन होने वाले चार कुप्पी युद्द में रावण की सेना श्री राम की सेना पर भारी पड़ती है और उन्हें हराने का पूरा प्रयास करती है। दर्शक बताते हैं कि ऐसा कुप्पी युद्द कहीं और देखने को नहीं मिलता है इसलिए वह यहां खींचे चले आते हैं।
रामलीला आयोजक इस युध्द को सजीव बनाने के लिए महीनों मेहनत करते है। महीनों पहले से तैयारी शुरू हो जाती है। बल्लियों से घिरे बड़े मैदान में युद्ध के दौरान दोनों दल की सेना इस कदर बेकाबू हो जाती है कि उन्हें सम्हालना आयोजकों के लिए कभी-कभी मुश्किल हो जाता है। एक कुप्पी युद्ध के सम्पन्न होने पर मेघनाथ वध और कुम्भकर्ण वध की भी लीलाये होती हैं। दारानगर की रामलीला का इतिहास 238 वर्ष पुराना है। यहां जैसा कुप्पी युद्ध कहीं और नहीं होता। आयोजक बताते है कि जहां हमारा समाज ऊंच-नीच जाति- धर्मं के नाम पर बंट रहा है वही यहां के इस रामलीला मैं पिछले 238 सालों से रावन की दलित सेना व भागवान राम की सेना पल भर के लिए भले ही एक दूसरे के दुश्मन बन जाते है लेकिन पल भर में यही आपस में गले मिल भाई चारे कि मिशाल कायम करते हैं।