यूपी विधानसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी में अंदरूनी विवाद आए दिन सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना रहता है। न सिर्फ बीजेपी नेताओं की आपसी रार, बल्कि सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच भी सबकुछ ठीक न रहने की खबरें मीडिया में खूब चलीं। पिछले दिनों कौशाम्बी महोत्सव में तो जैसे भाजपा की अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई। ‘कौशाम्बी महोत्सव’ का आयोजन मुख्यमंत्री के नजदीकी कहे जाने वाले कौशाम्बी सांसद विनोद सोनकर ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने और समापन उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने किया। पर हैरत की बात यह कि कौशाम्बी के ही रहने वाले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को इस पूरे कार्यक्रम से दूर रखा गया। आयोजकों ने पोस्टर-बैनर तक में उन्हें जगह नहीं दी।
केशव मौर्य यहीं से केशव मौर्य पहली बार यहीं से विधायक बनकर राजनीतिक क्षितिज पर चमके थे। केशव का महोत्सव में न पहुंचना कई सवालों को जन्म दे गया। जब केशव नही पहुंचे तो समर्थकों ने भी कार्यक्रम से दूरी बना ली। केशव समर्थक चायल विधायक संजय गुप्ता महोत्सव में पहुंचे तो उन्हें भी ज्यादा तवज्जो नहीं मिली। इसके बाद तो महोत्सव खत्म होते ही संजय ने खुलकर मीडिया के सामने कहा कि ‘कौशाम्बी महोत्सव’ बीजेपी का नही सांसद विनोद सोनकर का आयोजन था।
केशव कौशम्बी नहीं पहुंचे तो तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। इन्हें उस समय और बल मिला जब इलाहाबाद में सीएम के कार्यक्रम में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य नहीं पहुंचे। फिर क्या था, पार्टी के अंदर मची उथल पुथल खुलकर बाहर आ गई। पहले कौशाम्बी फिर इलाहाबाद में पार्टी के दो दिग्गजों के बीच मची रार की खबर दिल्ली में बैठे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तक पहुंच गई। उन्होंने बिना मौका गंवाए योगी व केशव को सात अप्रैल को दिल्ली तलब कर लिया। सूत्रों की मानें तो दिल्ली में दोनों नेताओं से पार्टी अध्यक्ष ने बात करके आपसी मनभेद भुलाकर 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटने को कहा है। वहीं दूसरी ओर विपक्ष भाजपा की इस अंदरुनी रार को भुनाने की जुगत में लग गया है।