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कवर्धा

गांवों तक जाने वाली नहर-नाली क्षतिग्रस्त, कैसे पहुंचेगा पानी

जिले के अधिकांश गांवों में सिंचाई के लिए बने कृत्रिम साधन पर निर्भर रहता है। इसके लिए बकायदा माइनर से ग्रामीणों को नहर के माध्यम से खेतों तक पानी पहुंचता है, लेकिन कई गांव के नहर पुल क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिससे पानी खेतों तक नहीं पहुंच सकते हैं।

कवर्धाApr 12, 2019 / 11:20 am

Panch Chandravanshi

How water will reach

How water will reach

इंदौरी. भीषण गर्मी को देखते हुए पिछले मध्यम जलाशयों से निस्तारी के लिए पानी छोडऩे का निर्देश दिया गया, लेकिन गांवों तक पहुंचने वाले अधिकांश नहर-नाली क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। ऐसे में गांवों तक पानी कैसे पहुंच पाएगा।
जिले के अधिकांश गांवों में सिंचाई के लिए बने कृत्रिम साधन पर निर्भर रहता है। इसके लिए बकायदा माइनर से ग्रामीणों को नहर के माध्यम से खेतों तक पानी पहुंचता है, लेकिन कई गांव के नहर पुल क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिससे पानी खेतों तक नहीं पहुंच सकते हैं। इंदौरी से चोरभट्ठी, पिपरिया से मानिकचौरी सहित कई छोटे नहर नाली का निर्माण लंबे समय से पहले हुआ है, जो अब खस्ताहाल नजर आ रहा है। इसका मुल कारण समय समय पर मरम्मत नहीं होने के कारण पुल जगह-जगह टूट गए हैं। पुल टूट कर दोनों तरफ से बंद हो चुका है, जिसके कारण खेतों तक पानी जाना संभव नजऱ नहीं आ रहा है। ऐसे में सिंचाई के लिए खेतों तक पानी पहुंचाने में दिक्कत होना स्वाभाविक है। नहर निर्माण के समय किसानों में उम्मीद जाग गई थी। किसानों को ऐसा लगने लगा कि उनकी खरीफ की फसले समय पर पानी मिलने के कारण अब लहलहा उठेगा। नतीजन शुरुआती दौर में किसानों को सिंचाई के लिए भरपूर मात्रा में पानी मिलता रहा, लेकिन जैसे ही पुल पुराने के साथ जर्जर होती गई। इस ओर जल संसाधन विभाग मुंह मोड़ लिया। विभागीय उदासीनता के कारण मरम्मत नहीं होने से नहर क्षतिग्रस्त होने लगे हैं। वहीं इस नहर में बनाए गए पुलिया खराब हालत में पड़ी है। सिंचाई विभाग के अनदेखी के कारण किसानों को सिंचाई के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है।
कई एकड़ भूमि की करते हैं सिंचाई
फसलों को सूखे से निजात दिलाने के लिए माइनर के माध्यम से गांव तक नहर नाली से पानी पहुंचने की योजना था। इस नहर के पानी से आसपास के कई एकड़ भूमि को सिंचाई किए लिए पानी मिल सकता है, लेकिन विभाग के उदासीन रवैया के कारण पानी गांव तक नहीं पहुंच पा रही है। बांध से सिंचाई व निस्तारी के लिए पानी छोड़ी तो जाती है, लेकिन क्षतिग्रस्त नहर व इसमें बनाएं पुलिया के कारण पानी कुछ दूरी तक ही पहुंच पाता है। इसके चलते किसानों की उम्मीद टूटती जा रही है। विभाग मरम्मत पर ध्यान नहीं दे रही है।
यहां भी निभाते हैं औपचारिकता
सिंचाई के लिए बनाएं इस तरह के नहर नाली की दशा दयनीय स्थिति एक कारण अरसे से नहर नाली का मरम्मत न हो पाना है। रिपेयरिंग के अभाव में एक निश्चित दुरी पर बनाए मिनी पुल के अस्तित्व खतरे में है। इस तरह की जिवंत नमूना पिपरिया से मानिकचौरी नहर नाली सहित कई गांवों में देखा जा सकता है। इनकी साफ सफाई का जिम्मा विभाग का होता है। ऐसे में केवल पानी छोडऩे के समय विभाग बन कचरे की सफाई कर महज औपचारिकता पूरी करते हैं। जबकि नगह-नाली ही क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
सिंचाई के एवज में मिलता है राजस्व
इस तरह के नहर नाली से हर साल एग्रीमेंट के तहत सैंकड़ों एकड़ भूमि को सिंचित करने के लिए पानी छोड़ी जाती है। इसके एवज में सिंचाई विभाग को किसानों से मोटी रकम राजस्व भी प्राप्त होता है। इसके बाद भी नहर में बने पुराने जर्जर पुल को मरम्मत कराने के लिए उदासिनता बरती जा रही है, जिससे पानी का एक हिस्सा ब्यर्थ बह जाती है। अगर इस तरह के पुल को दुरुस्त करा दिया जाए तो विभाग हर साल पानी का समुचित उपयोग कर पाता।

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