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कवर्धा

40 स्टूडेंट्स झुंड में जाते हैं स्कूल और आते भी हैं एक साथ, कोई बिछड़ जाए तो..

Chhattisgarh govt school: छात्रों की टोली रोजाना स्कूल समय पर घने बगीचे पार करते हाई स्कूल पहुंचते हैं

कवर्धाSep 13, 2019 / 06:38 pm

चंदू निर्मलकर

40 स्टूडेंट्स झुंड में जाते हैं स्कूल और आते भी हैं एक साथ, कोई बिछड़ जाए तो..

40 स्टूडेंट्स झुंड में जाते हैं स्कूल और आते भी हैं एक साथ, कोई बिछड़ जाए तो..

पप्पू साहू@इंदौरी. सुदूर वनांचल जैसे दुर्गम रास्ते पर बस्ता लिए छात्रों की टोली ज्ञान के उजाले की तलाश में रोजाना पैदल निकलती है। बुलंद हौसले और मजबूत इरादों से ही उम्मीद परवान (Chhattisgarh govt school) चढ़ती है। शिक्षा (Chhattisgarh education) के प्रति छात्रों की ललक के सामने दुर्गम रास्ते भी बौनी साबित हो रही है। ऐसा ही नजारा कुआं-बानो के 18 छात्रों की टोली रोजाना स्कूल (School Studnet) समय पर घने बगीचे पार करते हाई स्कूल पहुंचते हैं।

रास्ते में मिलते हैं खतरनाक जीव-जन्तु

शिक्षा हमारे लिए महत्वपूर्ण है। हम सब इस बात को भलीभांति जानते हैं, लेकिन ग्राम कुंआ-बानो 18 विद्यार्थी शिक्षा के लिए जो करती है वह इसके महत्व को एक नई परिभाषा दे रही है। रोज़ाना दुर्गम रास्ते के बगीचे से तीन किलोमीटर का सफर तय कर स्कूल जाती है। रास्ते में उन्हें कभी बिच्छू, कभी सांप तो कभी खूंखार बंदर आंख दिखा जाते हैं, लेकिन वह बिना डरे स्कूल जाती है।

72 साल हो गए लेकिन नहीं बदली..

कवर्धा विकासखंड के कुंआ बानो के छात्रों को हाई स्कूली शिक्षा ग्रहण करने के लिए समीप के गांव कोयलारी व पचभैया जाना पड़ता है वह भी पैदल। आजादी के 72 साल बाद भी बदहाली ने लोगों को अपनी चपेट में ले रखा है। जहां बच्चों के लिए स्कूल तक पहुंचना किसी जंग से कम नहीं है। छात्र-छात्राएं रोजाना तीन चार किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद स्कूल पहुंच पाते हैं।

यही नहीं बरसात के दिनों में तो यहां समस्याएं और भी बढ़ जाती है। सड़क न होने के कारण यहां के स्कूली बच्चे जंगल जैसे रास्ते पार कर कोयलारी स्थित स्कूल पहुंचते हैं। गांव में आठवीं तक स्कूल है। ऐसे में हाई स्कूल शिक्षा के लिए सड़क न होने के कारण इन्हें पैदल चलकर ही स्कूल तक पहुंचना पड़ता है। हालांकि यह बहुत ही मुश्किल होता है, लेकिन शिक्षा ग्रहण करने के लिए ऐसा करना पड़ रहा है।

झुंड में जाते हैं स्कूल

छात्र-छात्राएं टोली बनाकर चलते हैं। ताकि कोई जंगली जानवर हमला न कर दे। कक्षा 10 वीं के छात्र सीताराम बताते हैं कि रोजाना इस रास्ते से होकर स्कूल पहुंचते हैं। इस दौरान कई बार बंदर द्वारा हमला कर देते हैं। ऐसे में सभी छात्र-छात्राएं झुंड बनाकर स्कूल जाते हैं। ताकि कोई जंगली जानवर उनपर हमला न कर दे। एक छात्रा कहती है कि कभी सांप तो कभी जहरीली जीव बरसात में अक्सर रास्ते पर दिखते हैं, लेकिन स्कूल तो जाना ही है। हम उसी रास्ते पर चुपचाप एक साथ चलते हैं।

बरसात में नहीं पहुंचते स्कूल

ग्राम कुंआ बानो में केवल आठवीं तक स्कूल है। यहां से लगभग 40 छात्र छात्राएं हाई स्कूल पढ़ाई के लिए कोयलारी व पचभैया जाते हैं। पैदल सुनसान इलाके होने के कारण बरसात में डगर खतरनाक हो जाता है। ऐसे में बारिश होने की स्थिति में लेट लतीफी होने से स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं और पढ़ाई से वंचित रहना पड़ता है।

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