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फॉरेस्ट गार्ड और वन्य प्राणियों को करंट से बचाएगा लाइव वायर डिटेक्टर, शिकारियों से भी करेगा अलर्ट

एक ऐसी डिवाइस मंगाया गया है जो जंगल में खुले तार से फैले करंट की जानकारी 5 मीटर पहले से ही बता देता है। जिले के लोहारा वनक्षेत्र में करंट लगाकर शिकार किए जाने की घटना होती है।

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फॉरेस्ट गार्ड और वन्य प्राणियों को करंट से बचाएगा लाइव वायर डिटेक्टर, शिकारियों से भी करेगा अलर्ट

फॉरेस्ट गार्ड और वन्य प्राणियों को करंट से बचाएगा लाइव वायर डिटेक्टर, शिकारियों से भी करेगा अलर्ट

कवर्धा. जिले में वन विभाग अपने फॉरेस्ट गार्ड को करंट से बचाने नई तकनीक का सहारा ले रहे हैं। एक ऐसी डिवाइस मंगाया गया है जो जंगल में खुले तार से फैले करंट की जानकारी 5 मीटर पहले से ही बता देता है। जिले के लोहारा वनक्षेत्र में करंट लगाकर शिकार किए जाने की घटना होती है। भोरमदेव अभयारण्य में भी बॉयसन, तेंदुआ, चीतल, शांभर का करंट लगाकर शिकार किया है। कभी-कभी इसकी चपेट में फॉरेस्ट गार्ड भी आ जाते हैं। इससे ही बचाव के लिए यह डिवाइस लाया गया है। इस डिवाइस का नाम लाइव वायर डिटेक्टर है, जिसका उपयोग कर जंगलों में पैदल गस्ती करने वाले फॉरेस्ट गार्ड अपनी रक्षा के साथ ही जानकारी होने पर वन्य प्राणियों की रक्षा भी कर पाएंगे।

डब्लूडब्लूएफ के सदस्य उपेन्द्र दुबे ने बताया हम विभाग की मदद के लिए इस डिवाइस को लेकर आए हैं। शुरूवाती ट्रायल के लिए डिवाइस को वन अमले को सौंपा गया है। अभी पूरे प्रदेश में 10 डिवाइस आया है जिसमें से तीन डिवाइस कवर्धा वन विभाग को दिया गया है, जिसका लाभ होगा। आगे जरूरत के हिसाब से इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी।

पांच मीटर पहले से ही देने लगा बीप का साउंड
वनमंडलाधिकारी दिलराज प्रभाकर ने बताया कि लाइव वायर डिटेक्टर डिवाइस मंगाया गया है। जिले के वनक्षेत्र में जीआई तार से करंट लगाकर वन्यप्राणियों का शिकार किया जाता है। कभी-कभी इसकी चपेट में फॉरेस्ट गार्ड भी आ जाते हैं, जिसके चलते उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए इस डिवाइस का उपयोग किया जाएगा, जो फॉरेस्ट गार्ड को पांच मीटर ही पहले ही बीप-बीप की आवाज से खुले में तार बिछाकर करंट लगाने की जानकारी देगा। उससे गार्ड सचेत होगा, जो खुद करंट से बचेगा और वन्य प्राणियों को भी करंट से बचाएगा।

बढ़ाई जाएगी संख्या
डब्लूडब्लूएफ की मांग पर नीति आयोग के निर्देश पर अटल इनोवेशन सेंटर के छात्रों ने अथक मेहनत व दो-तीन प्रयासों के बाद इस डिवाइस को बनाया है। इसे ट्रायल के रूप में अभी कुछ अभयारण्य व टाईगर रिजर्व क्षेत्र में दिया जा रहा है। हालांकि इस तरह की डिवाइस कान्हा, बांधवगढ़ में उपयोग किया जा रहा है, जो सफल भी है। धीरे से इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी। कुछ सुधार की गुंजाइश होगी तो सुधारने के बाद इसे बड़े पैमाने पर खरीदी की जाएगी।