गर्मी के दिनों में आए दिन आगजनी की घटना बढ़ जाती है। हर साल गर्मी की शुरुआत से ही आगजनी की घटनाएं होती रहती है। पिछले सप्ताह ही 29 मार्च को गुढ़ा में करीब तीन एकड़ की चने का फसल जलकर खाक हो गई। इसी तरह होलिका दहन की रात गैंदपुर में आगजनी की घटना से चार पहिया वाहन सहित घर जलकर राख में तब्दील हो गई। पिछले पखवाड़े भर में कई आगजनी की घटनाएं सामने आई। अक्सर तेज गर्मी शुरू होते ही आग लगने की घटनाएं सुनने को मिलता है। कई बार दमकल समय पर नहीं पहुंचने के कारण लगी आग पर काबू नहीं पाने से फसल राख में तब्दील हो जाती है।
गांवों में आगजनी की घटना होने के स्थिति में ग्रामीण स्तर पर लोग इकट्ठे होकर स्वयं आग पर काबू पाने की जुगत में लग जाते हैं। निजी व घरेलू पंप मोटर से पाईप से पानी का छिड़काव करते हैं। वहीं महिला-पुरूष सहित युवा वर्ग अपने-अपने हिसाब से पानी ढ़ो कर आग बुझाने का भरसक प्रयास करते हैं। पंचायतों में दमकल की व्यवस्था नहीं होने के कारण गांवों में आगजनी की घटना होने पर इस तरह का नजारा अक्सर देखने को मिलता है। कई मर्तबा ग्रामीणों की सुझबुझ से ही आगजनी पर किसी अनहोनी से पहले ही काबू पाने में कामयाब हो जाते हैं।
हर साल आगजनी की घटनाएं सामने आती है, जिसमें ज्यादातर खलिहानों में रखे फसल जलने के ज्यादा मामले सामने आते हैं। इसके पीछे एक वजह यह है कि लोग गर्मी के दिनों में खेतों में पड़े अवशेष पर खुले जगहों पर जला देते हैं और बिना बुझाएं वापस आ जाते हैं। आग दो-तीन दिन तक सुलगते रहते हैं। गर्मी में वैसे ज्वलन गति तेज रहती है, जो इस तरह के लापरवाही से आगजनी की घटना से इंकार नहीं किया जा सकता। इससे लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।