14 परिवार जर्जर मकानों में रहने को मजबूर
अधिकतर किराएदार शासकीय अधिकारी कर्मचारी भवन भी सुरक्षित नहीं, रहता है हादसे का डर
14 families forced to live in dilapidated house
सेंधवा. नगर सहित विकासखंड के कई ग्रामीण क्षेत्रों में शासकीय भवनों की स्थिति कर्मचारियों की चिंता का कारण बन रही है। जर्जर भवनों में शासकीय कर्मचारियों सहित अन्य स्टाफ के साथ हादसे की आशंका हमेशा बनी रहती है। इसके बाद भी बड़ी संख्या में परिवार निवास कर रहे हैं।
नगरीय क्षेत्र में कई शासकीय कार्यालय ऐसे है। जिनका निर्माण 20 से 30 वर्ष पहले हुआ था। समय के साथ ही कई भवन जर्जर हो चुके है, लेकिन कार्यालय का अभाव और शासन की अनदेखी के चलते कई कार्यालयों में कर्मचारी हादसे की आशंका के बीच काम करने को मजबूर है। कर्मचारियों की परेशानी है कि वे किसे बोले। सेंधवा में सबसे ज्यादा परेशानी पुलिस विभाग के जवानों और अधिकारियों को झेलनी पड़ रही है। हालांकि अभी तक कोई बड़ी घटना तो नहीं हुई है, लेकिन भवनों की स्थिति देखकर हादसे की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
नपा क्षेत्र में 14 मकान रहने योग्य नहीं
नपा के कुल 24 वार्ड में 14 मकान रहने योग्य नहीं है। नपा द्वारा सर्वे में ऐसे मकान चिह्नित किए गए थे जिनकी हालत जर्जर है, लेकिन फिर भी उसमें लोग रह रहे है। कुछ लोग किराएदार के रूप में मकानों में रहते थे, जिन्होंने कब्जे कर लिए है और मामला न्यायालय में चल रहा है। इसलिए ऐसे परिवार खतरों के बीच रह रहे है, लेकिन मकान खाली नहीं करना चाहते है। नपा अधिकारियों ने कहा कि कुछ लोगों ने अपना मकान रिपेयरिंग कराने की बात कही है। नियमानुसार मकान को तोडऩे का अधिकार नपा को है, लेकिन जिनके विवाद न्यायलय में लंबित है। उसे नपा नहीं तोड़ सकती है।
40 साल पुराने भवन हो गए जर्जर
नगर के मल्हार बाग स्थित पुलिस थाना के पीछे पुलिस अधिकारियों और जवानों के लिए रहवासी क्षेत्र बने है। हालांकि 40 साल पुराने भवनों में रहना पुलिस विभाग के कई कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। पुलिस कर्मियों के परिवार भवन की मरम्मत की मांग कर रहे है। परिसर में तीन ब्लॉक के सभी मकानों को मरम्मत की आवश्यकता है। थाना परिसर के पीछे पुरानी चाल में भी कई परिवार रह रहे है। शासकीय अवसाओं की कमी की वजह से जर्जर भवनों में रहना पड़ रहा है।
सर्वे के अनुसार नपा क्षेत्र में कुल 14 मकान रहने लायक नहीं है, उन्हें चिह्नित किया था। कुछ मकानों में सुधार हुआ है। वहीं कई जर्जर मकानों के विवाद के विवाद न्यायालय में लंबित है। इसलिए कार्रवाई नहीं कर पा रहे है।
राजेश मिश्र, सहायक यंत्री नपा सेंधवा
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