मामला खंडवा जिले के पुनासा तहसील का है। हंतिया निवासी मौजीलाल ने सरकारी व्यवस्था से परेशान होकर अपनी मौत का दिन और समय तय कर दिया। उसने जनसुनवाई में अपनी व्यथा सुनाई और प्रशासन को चेतावनी देते हुए 14 नवंबर तक काम नहीं हुआ तो सार्वजनिक रूप से आत्महत्या करने की धमकी दे डाली।
ग्राम हंतिया का रहने वाला मौजीलाल पिछले 12 साल से परेशान है। दरअसल पटवारी हलका नंबर 22 रिछफल स्थित उसके खेत के पास से इंदिरा सागर की गोराड़िया वितरण शाखा की नहर गुजर रही है, जिससे पानी रिसाव के कारण खेत दलदल बन गया। मौजीलाल 2007 से खेत से उपज भी नहीं ले पा रहा। मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचे मौजीलाल ने कलेक्टर तन्वी सुन्द्रियाल को बताया कि अपना खेत होने के बाद भी वो मजदूर बन गया है। उसके ऊपर कर्ज भी चढ़ गया है। कई साल सेवो समस्या को लेकर अफसरों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन आ ध्वासन के बोझ तले अब उसका सब्र जबाब दे चुका हैं।
NBDA दफ्तर के सामने खा लेगा जहर
मौजीलाल ने कलेक्टर तन्वी सुंद्रियाल को सौंपे ज्ञापन में लिखा है कि समस्या का निराकरण नहीं होता है तो वो 14 नवंबर को सुबह 11 बजे पुनासा स्थित एनवीडीए ऑफिस के सामने सपरिवार भूख हड़ताल पर बैठ जाएगा और शाम 4 बजे तक समस्या का निराकरण नहीं हुआ तो वो 4.30 बजे जहर खाकर आत्महत्या कर लेगा।
मौजीलाल ने कलेक्टर को दिए आवेदन में लिखा है कि उसकी मौत के जिम्मेदार एनवीडीए कार्यपालन अधिकारी, पुनासा एसडीएम, तहसीलदार, रिछफल के पटवारी, राजस्व निरीक्षक मोहना और कलेक्टर खंडवा होंगे।
चावल की खेती से किया मना
कलेक्टर तन्वी सुंद्रियाल ने एडीएम राजेश जैन से चर्चा की। एडीएम ने बताया कि वे भी मौजीलाल के खेत का निरीक्षण कर चुके हैं। खेत नहर से नीचे होने से वहां पानी आता रहता है। कलेक्टर ने दलदल हो रहे खेत पर चावल की खेती की सलाह दी। उपसंचालक कृषि आरके गुप्ता ने वहां के वातावरण को चावल की खेती के लायक नहीं बताया। कलेक्टर ने तालाब बनाकर मत्स्य पालन या सिंघाडा खेती की बात कही।
फटे हाल देख कलेक्टर ने दिए थे नए कपड़े
फटेहाल जनसुनवाई में पहुंचने पर तत्कालीन कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने 22 जनवरी को मौजीलाल को नए कपड़े दिलवाए और समस्या का निराकरण करने को कहा था। छह माह बाद भी निराकरण नहीं हुआ तो 23 जुलाई को जिपं. सीईओ रोशनसिंह को कलेक्टर के दिए कपड़े लौटा दिए।
जिपं. सीइओ, मत्स्य अधिकारी, कृषि अधिकारी को मौके पर जाकर खेती देखने के निर्देश दिए हैं। खेती नहीं हो सकती है तो मछली पालन के लिए तालाब बनाकर लाभ दिलाया जाए। धमकी नहीं दी है, न किसान आत्महत्या करेगा।
-तनवी सुंद्रियाल, कलेक्टर