ग्रामीणों का कहना था कि अवैध रेत खनन के लिए गणेश पटेल सभी मजदूरों को लेकर गया था। ग्रामीणों ने अवैध खनन करने वालों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए शव उठाने से मना कर दिया। मौके पर पहुंचे कलेक्टर अमित तोमर और एसपी डीआर तेनीवार के सामने भी आक्रोश जाहिर किया। पुलिस ने दो लोगों को हिरासत में लिया है। णेश पटेल के छोटा बड़दा और अंजड़ स्थित निवास पर भी दबिश दी गई, लेकिन वो नहीं मिला।
नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने खनिज विभाग और पुलिस पर खनन माफिया को पनाह देने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि सरदार सरोवर बांध परियोजना से प्रभावित बड़वानी सहित अन्य जिलों में नर्मदा से रेत खनन पर सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी की रोक लगी हुई है। इसके बाद भी अवैध रेत खनन जारी है। बड़वानी जिले में छोटा बड़दा, पिपलूद, खेड़ी, देदला, मोहिपूरा, नंदगांव, पेंड्रा गांव में अवैध बालू खनन में तीन साल में 120 जान जा चुकी है। ये सभी अवैध रेत खदान धंसने से हुई मौत है। तीन माह पहले छोटा बड़दा में रेत खदान धंसने से 3 की मौत हुई थी, जिसमें पुलिस ने एफआइआर भी दर्ज नहीं की। उनका कहना है कि चार माह पहले पेंड्रा में 5 की मौत, छह माह पहले पिपलाज में एक की मौत, 9 माह पहले देदला में 4 की मौत हुई थी। इन सबमें एफआइआर तो हुई, लेकिन आरोपी पकड़ मेें नहीं आए।
ग्रामीणों ने बताया कि छोटा बड़दा में कई अवैध रेत खदान हैं। जिन्हें अलग-अलग रेत माफिया ने बांट रखी है। सुबह 4 बजे से रेत माफिया गांव से मजदूर ले जाकर खनन शुरू करते हैं। एक दिन में एक खदान से औसतन 25 ट्रैक्टर-ट्रॉली से ज्यादा रेत निकाली जाती है। एक ट्रैक्टर ट्रॉली भरने के लिए मजदूरों को 40-40 रुपए मिलते है। कई बार ग्रामीण अवैध रेत खनन का विरोध कर चुके हैं, लेकिन पुलिस की मिलीभगत के चलते रेत माफिया के हौसले बुलंद हैं।
अवैध उत्खनन और परिवहन को लेकर प्रशासन लगातार कार्रवाई कर रहा है। हमारे पास आंकड़े भी हैं। जहां भी सूचना मिलती है वहां, पुलिस और खनिज विभाग कार्रवाई करते हैं। अवैध रेत खनन को लेकर अब सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अमित तोमर, कलेक्टर बड़वानी